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हिन्दी विभाग के आचार्य डाॅ रमेश चंद्र त्रिपाठी को शिक्षकों व कर्मचारियों ने किया याद, श्रद्धाजंलि सभा आयोजित 

लखनऊ। हिन्दी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रो रमेश चन्द्र त्रिपाठी की साहित्यिक सेवाओं का स्मरण करते हुए एक श्रद्धाजंलि सभा की गई, जिसमें विभागीय शिक्षक-कर्मचारी एवं छात्रगण उपस्थित रहे। विभाग के वरिष्ठ कृतकार्य आचार्य डाॅ रमेश चंद्र त्रिपाठी का 3 दिसंबर को लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया।

प्रो. त्रिपाठी हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में 1990 में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए। इससे पूर्व युवराज दत्त पीजी कॉलेज लखीमपुर में शिक्षक थे। 1998 से 2005 तक हिंदी विभाग के उपाचार्य रहे और इसी बीच पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष का दायित्व प्राप्त हुआ, जिसे उन्होंने अत्यंत कर्मठता और कुशलता के साथ निर्वहन किया। हिंदी विभाग में अध्यापन करते हुए 2017 में निवर्तमान हुए।उनके द्वारा निराला की पत्रकारिता, छायावाद युगीन पत्रकारिता पर एमफिल एवं पीएचडी शोध कार्य किया गया।

कल से भाषा विश्वविद्यालय में “इंटरनेट टूल्स के माध्यम से अनुवाद: चुनौतियां और समाधान” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता संस्थान से एक बृहत शोध परियोजना पर कार्य किया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यशालाओं के संयोजक रूप में अभूतपूर्व ख्याति अर्जित की। “पत्रिकारिता के सिद्धांत” पर लिखी पुस्तक छात्रों के बीच अधिक लोकप्रिय हुई। उप्र हिन्दी संस्थान द्वारा “पत्रकारिता भूषण” से अलंकृत किए गए। इसके अतिरिक्त अनेक संस्थाओं से भी पुरस्कृत हुए। सिंगापुर और मॉरिशस के साहित्यिक सम्मेलनों में प्रतिभाग किया।

विधिक सहायता केंद्र व जिला विधिक प्राधिकरण के संयुक्त तत्वाधान में कार्यक्रम आयोजित, अनुच्छेद 14 से लेकर अनुच्छेद 32 के मौलिक अधिकारों की दी जानकारी

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