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स्वर्गलोक से उतरकर महादेव की नगरी काशी में देवता मनाते हैं दीवाली: पं. आत्मा राम

आषाढ़ की देवशयनी एकादशी के बाद चार महीनों की निद्रा के बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इसके साथ ही देवउठनी एकादशी के बाद आऩे वाली चतुर्दशी के दिन भगवान शिव जागते हैं. इस खुशी में भी सभी देवी-देवता धरती पर आकर काशी में दीप जलाते हैं।

देव दीपावली पर दीपदान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन मिट्टी के दीपक जलाने से भगवान विष्णु की खास कृपा मिलती है. घर में धन, यश और कीर्ति आती है. इसीलिए इस दिन लोग विष्णु जी का ध्यान करते हुए मंदिर, पीपल, चौराहे या फिर नदी किनारे बड़ा दिया जलाते हैं।

शुभ मुहूर्त : 29 नवंबर दिन रविवार दोपहर 12:33 से 30 नवंबर दिन सोमवार दोपहर 2:26 तक पूर्णिमा है।

1. इस दिन सुबह-सुबह गंगा स्नान किया जाता है।
2. भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है।
3. पूजा के बाद सुबह और शाम को मिट्टी के दीपक में घी या तिल का तेल डालकर जलाया जाता है।
4. जो लोग गंगा स्नान ना कर पाएं को घर पर ही गंगाजल का छिड़काव कर स्नान करें.
5. स्नान करते समय ॐ नमः शिवाय का जप करते जाएं। या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः 
ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् 
उर्वारुकमिव बन्‍धनान् 
मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !! 

6. कार्तिक पूर्णिमा के दिन विष्णु जी की भी पूजा की जाती है।

देव दीपावली पर दीपदान करना बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन मिट्टी के दीपक जलाने से भगवान विष्णु की खास कृपा मिलती है. घर में धन, यश और कीर्ति आती है। इसीलिए इस दिन लोग विष्णु जी का ध्यान करते हुए मंदिर, पीपल, चौराहे या फिर नदी किनारे बड़ा दिया जलाते हैं। दीप खासकर मंदिरों से जलाए जाते हैं। इस दिन मंदिर दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है। दीपदान मिट्टी के दीयों में घी या तिल का तेल डालकर करें।

संपर्क सूत्र- 09838211412, 0870766651909455522050 से अपॉइंटमेंट लेकर संपर्क करें।

पं. आत्माराम पांडेय
पं. आत्माराम पांडेय

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