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वास्तुकला संकाय में दो दिवसीय वास्तुकला प्रदर्शनी “संग्रह” का हुआ भव्य शुभारम्भ

• वास्तुकला प्रदर्शनी: वास्तुकला के छात्रों की असाधारण प्रतिभा और समर्पण का प्रमाण

लखनऊ। वास्तुकला एवं योजना संकाय, एकेटीयू ने गुरुवार को बीआर्क द्वितीय वर्ष की वास्तुकला प्रदर्शनी “संग्रह” संकाय के दोशी भवन में लगाई गयी। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रख्यात वास्तुकार अशोक कुमार और सबीना सिंह (मुख्य वास्तुकार पीडब्लूडी) ने किया।

वास्तुकला संकाय में दो दिवसीय वास्तुकला प्रदर्शनी "संग्रह" का हुआ भव्य शुभारम्भ

यह प्रदर्शनी डीन प्रोफेसर वंदना सहगल और विभागाध्यक्ष प्रो रितु गुलाटी के मार्गदर्शन में वास्तुशिल्प प्रतिभा और रचनात्मकता का एक उत्सव है। प्रोफेसर रितु गुलाटी ने कहा कि प्रदर्शित सभी कृतियां विभिन्न क्षेत्रों में हमारे प्रतिभाशाली छात्रों के कार्यों को प्रदर्शित करता है, जो हमारे संस्थान के भीतर विकसित विविध और गतिशील कलात्मक परिदृश्य की झलक पेश करता है।

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प्रदर्शनी का शुभारम्भ संकाय के दोशी भवन के मुख्य द्वार पर लगे फीता को काटते हुए मुख्य अतिथि ने किया। प्रदर्शनी में सर्वप्रथम आर्ट्स एंड ग्राफिक के वर्क (पेंटिंग्स,मॉडल्स, म्यूरल्स आदि) और वास्तुकला डिजाइन, भवन निर्माण, आर्ट्स एंड ग्राफिक कलाकृतिया, वर्नाक्युलर, वास्तुकला इतिहास,सर्विस फोटोग्राफी, डिजिटल मीडिया और अन्य में फैले मनोरम कार्यों की एक श्रृंखला में खुद को आकर्षित कर रहा था मुख्य अतिथि और उपस्थित लोगों ने देखा और छात्रों और संकाय प्राध्यापकों प्रदर्शित कार्यों के बारे में बात की और सराहना की।

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विचारोत्तेजक इंस्टॉलेशन से लेकर विचारोत्तेजक चित्रों तक, प्रत्येक भाग हमारे उभरते पेशेवरों वास्तुकला के छात्रों के अद्वितीय दृष्टिकोण और असीमित कल्पना को दर्शाता है। मुख्य अतिथि ने प्रदर्शनी देखने के बाद कहा कि यह प्रदर्शनी वास्तुकला के छात्रों की असाधारण प्रतिभा और समर्पण के प्रमाण के रूप में कार्य करती है। प्रदर्शनी के कोऑर्डिनेटर दिव्यांशी श्रीवास्तव व कुशाग्र हैं। यह सभी संकायों के प्रतिबद्ध प्राध्यापकों के प्रयास का परिणाम है जिसका परिणाम स्पष्ट है।

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यह छात्रों को समुदाय के साथ अपने रचनात्मक दृष्टिकोण को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है और कलात्मक अभिव्यक्ति और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। व्यक्तिगत कार्यों को प्रदर्शित करने के अलावा, प्रदर्शनी में इंटरैक्टिव इंस्टॉलेशन, लाइव प्रदर्शन और दर्शकों के जुड़ाव के अवसर भी शामिल हैं।

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आगंतुकों को महत्वाकांक्षी पेशेवरों के साथ सीधे जुड़ने, उनकी रचनात्मक प्रक्रिया और प्रेरणाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने का मौका मिलेगा। हम अपने छात्रों की कड़ी मेहनत और कलात्मक विकास की पराकाष्ठा का जश्न मनाने में हमारे साथ शामिल होने के लिए आर्किटेक्ट्स, छात्रों, संकाय और जनता को आमंत्रित करते हैं। यह प्रदर्शनी कला को प्रेरित करने, कला के प्रति आकर्षित करने और एकजुट करने की शक्ति का एक प्रमाण है।

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आर्ट एंड ग्राफिक के प्राध्यापक गिरीश पाण्डेय व भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि ओल्ड मास्टर्स कॉपी बेहतरीन हस्त कौशल प्राप्त करने के दृष्टिगत कार्य निर्धारित किए गए थे। पहला अभ्यास कार्य का उदेश्य यह था कि अजंता मेन बने चित्रों के रेखाओं और रंग योजना का अनुसरण करते हुए ‘अजंता पेंटिंग’ की एक प्रतिकृति बनाना।

दूसरा अभ्यास कार्य महान कलाकार ‘जामिनी रॉय’ की रचित चित्रों की अनुकृति बनाना था। जामिनी रॉय की रचनाएं पश्चिम बंगाल की पारंपरिक शैली लोक कला (जिसे ‘पट्ट चित्र’ के नाम से भी जाना जाता है) से प्रभावित कलाकृति थीं।

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एक अन्य कार्य अभ्यास में सीमित सामग्री (लोहा तथा लकड़ी) के साथ एक त्रियायामी मॉडल बनाया गया है। इस कार्याभ्यास का उदेश्य मोडेल के कार्यात्मक पहलुओं और साथ ही रूप सौंदर्य की भाषा का बोध बढ़ाने हेतु किया गया था।

छात्रों में स्वरूपों के प्रयोग और उसके उचित विकास स्पस्त दिखाई दे रहा है। छात्रों ने विभिन्न कला शैलियों की विशेषताओं को भी सीखा। छात्रों ने इसके माध्यम से वर्तमान समय के समकालीन समाज में पुराने मूल्यों को शामिल करना तथा सृजनात्मक तकनीकों को विकसित करने का ज्ञान प्राप्त किया है।

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प्रदर्शनी में प्रवेश निःशुल्क है, और चाहे आप एक अनुभवी वास्तुकार हों या इसके क्षेत्र का पता लगाने के लिए उत्सुक हों, सभी का स्वागत है। प्रदर्शनी में संकाय के डीन डॉ वंदना सहगल, विभागाध्यक्ष प्रो रितु गुलाटी सहित संकाय के सभी प्रोफेसर्स,छात्र, नगर के कई वास्तुकार, कलाकार उपस्थित रहे। प्रदर्शनी 14 जून तक अवलोकनार्थ एफओएपी कैंपस, टैगोर मार्ग में लगी रहेंगी।

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