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कुरुक्षेत्र में बनेगा सरस्वती नदी का भव्य मंदिर, शुरू हुई तैयारी

रियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड (Haryana Saraswati Heritage Development Board, HSHDB) कुरुक्षेत्र में रिवरफ्रंट पर सरस्वती नदी का भव्य मंदिर स्थापित करेगा। इस संबंध में हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड मंदिर की स्थापना के लिए रिवर फ्रंट को अपग्रेड करने के लिए करीब 10 एकड़ जमीन का भी अधिग्रहण करेगा। हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच (Dhuman Singh Kirmach) ने यह जानकारी दी।

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सरस्वती नदी का भव्य मंदिर

धूमन सिंह किरमच (Dhuman Singh Kirmach) ने कहा कि परियोजना को आरती स्थल और पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। सिंचाई विभाग के अधिकारियों को इस भूमि के अविलंब अधिग्रहण करने के जरूरी निर्देश दिए गए हैं। इस बीच सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के साथ लगे इस स्थल का निरीक्षण किया। इस परियोजना से पिपली सरस्वती स्थल को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।

मालूम हो कि पिपली में एक किलोमीटर तक सरस्वती रिवर फ्रंट की योजना पहले ही बना ली गई है। कहते हैं कि सरस्वती नदी हिमालय से निकलती थी। यह आदिबद्री से यमुनानगर में प्रवेश करती थी और कुरुक्षेत्र से होकर आगे निकल जाती थी। यदि मौजूदा भूभाग के लिहाज से देखें तो यह पिपली के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-44 को क्रास करती थी। अध्ययन में सामने आया है कि पिपली में सरस्वती नदी की चौड़ाई करीब तीन किलोमीटर थी। यह नदी हरियाणा, राजस्थान से होकर पाकिस्तान सीमा तक जाती थी।

हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच ने कहा कि कुरुक्षेत्र जिले के पिपली के पास सरस्वती नदी के भव्य मंदिर की स्थापना के लिए करीब 10 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पिपली से प्रतापगढ़ तक एक किलोमीटर के दायरे में 200 फुट चौड़ा और सरस्वती नदी से चिता मंदिर (Chita Mandir) तक नदी के दोनों किनारों पर 50-50 फुट चौड़े पथ का विस्तार किया जाएगा।

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