लखनऊ। सिखों के चौथे गुरु साहिब श्री गुरू रामदास जी महाराज का गुरु गद्दी दिवस शनिवार को श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। इस अवसर पर प्रातः का दीवान 5.30 बजे सुखमनी साहिब के पाठ से दीवान आरम्भ हुआ जो 10.30 बजे तक चला। जिसमें हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी मे शबद कीर्तन- “धनं धनं रामदास गुरु जिन सिरिआ तिनै सवारिआ। राम दास सरोवर नाते, सब उतरे पाप कमाते।”
गायन कर समूह संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने साहिब श्री गुरू रामदास जी महाराज के गुरु गद्दी दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरू रामदास जी का जन्म चूना मण्डी लाहौर (पाकिस्तान) मे हुआ था। आपके पिता का नाम श्री हरदास जी और माता जी का नाम दया कौर जी था। छोटी उम्र मे उनके माता-पिता का निधन हो गया तो उनकी नानी जी उनको लेकर ‘‘बासरके‘‘ मे आ गयी। यहाँ आकर उन्होंने घुंघनियां (उबला हुआ चना) बेचना शुरु कर दिया। गुरु अमरदास जी के दर्शन कर तन-मन से उनकी सेवा और गुरु की बाणी पढ़ते और सिमरन करते रहे। गुरु अमरदास जी ने उनको ‘‘गुरु का चक्क‘‘ बसाने का कार्य सौंपा।
बाबा बुड्ढा जी को साथ लेकर पहले सरोवर की खुदाई की और नींव रखी। दुख भंजन बेरी के पास एक तालाब बनवाया जिसमें सच्चे मन से स्नान करने पर दुःख और रोग दूर होे जाते हैं। जो आज एक महान तीर्थस्थल (श्री अमृतसर) हरिमन्दिर साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। जहाँ देश विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं । कार्यक्रम का संचालन स. सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के उपरान्त गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिह बग्गा ने नगरवासियों को साहिब श्री गुरू रामदास जी के गुरु गद्दी दिवस की बधाई दी। तत्पश्चात् संगत में चाय का लंगर वितरित किया गया।