• नियंत्रण व प्रभावी प्रबंधन कार्रवाई में आई तेजी
• घर व आसपास न होने दें जल जमाव, रखें साफ-सफाई
• पहनें पूरी आस्तीन के कपड़े, मच्छरदानी का करें प्रयोग
वाराणसी। जनपद में डेंगू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क है। बारिश के मौसम के बाद और ठंड बढ़ते ही डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि मच्छर जनित बीमारियाँ अपना पैर पसारने लगती हैं जिससे सतर्क व सावधान रहने की आवश्यकता है। इसके लिए प्रभावी नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों पर फीवर हेल्प डेस्क को सक्रिय कर दिया गया है। लोग बुखार आने पर घर के नजदीक ही अपनी जांच कराकर उपचार करा सकते हैं जिससे किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति उत्पन्न न हो। जिलाधिकारी के निर्देशानुसार सीएमओ ने जिला क्षय रोग केंद्र के एस टी एस, टीबी एचबी और कुष्ठ रोग के एमएमए व एमएमएस को क्षेत्र में डेंगू की रोकथाम के लिए तैनात किया गया है।
उन्होने स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सकों व समस्त स्टाफ को निर्देशित किया कि मरीजों के उपचार और जांच में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी । समस्त स्टाफ समय से चिकित्सालय पर ओपीडी के साथ ही अन्य सेवाएं देना सुनिश्चित करें। उन्होने कहा कि जनपद में डेंगू, मलेरिया एवं अन्य रोग के प्रभावित क्षेत्रों (हॉट स्पॉट जॉन) में मच्छरों का घनत्व एवं बुखार से ग्रसित रोगियों की सूचना एवं स्क्रीनिंग कार्य और उसके नियंत्रण के लिए कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। सीएमओ ने जनपद स्तरीय चिकित्सालयों सहित ब्लॉक स्तरीय समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों को मच्छरदानी युक्त बेड की व्यवस्था और निःशुल्क जांच व उपचार की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ज़ोर दिया है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष जनपद में डेंगू के 352 मरीज पाये गए थे। इस वर्ष जनपद में अब तक 254 डेंगू के मरीज पाये जा चुके हैं। उन्होने बताया कि डेंगू एक वायरल रोग है जिसमें तेज बुखार के साथ साथ तेज बदन दर्द, शरीर पर चकत्ते और लाल दाने हो सकते हैं। खून में प्लेटलेट्स की संख्या में तेजी से गिरावट होती है। बुखार न होने के 48 घंटे बाद से प्लेटलेट्स बढ़ने की संभावना बढ़ जाती हैं और मरीज स्वस्थ होने लगता है। डेंगू बुखार में किसी एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती है। डेंगू मरीज को शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। विटामिन सी का सेवन अधिक करना चाहिए। लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी चिकित्सालय पर नि:शुल्क जांच व उपचार की सुविधा मौजूद है।
इन बातों का विशेष ध्यान रखें
– घरों के आसपास जल जमाव न होने दें।
– छत पर एवं घर के अंदर अनुपयोगी डिब्बे, पात्र जिसमे जल एकत्र हो सकता हो उसे खाली कर दें।
– फ्रिज के पीछे प्लेट में पानी एकत्र न होने दें।
– गमलों, नारियल के खोल या अनुपयोगी टायर,टंकी को जरूर से साफ करवाते रहें एवं उनमें पानी एकत्र न होने दें।
– मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।
– शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनें।
रिपोर्ट-संजय गुप्ता