लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने नगरीय प्रशिक्षण एवं शोध केन्द्र व स्थानीय निकाय निदेशालय में आयोजित स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 पर रणनीतिक कार्यशाला को सम्बोधित किया। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि शहर को स्वच्छ बनाने के लिये स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छता सर्वेक्षण कार्यक्रम जब तक अधिकारी मिशन और जज्बे के साथ नहीं जुड़ेंगे तब तक इस कार्यक्रम में उपलब्धि प्राप्त नहीं होगी। पहली बार 2016 पहला स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ था तब इन्दौर का 77 में 25वां स्थान था और 2017 में नम्बर-1 पर आये और लगातार आते रहे। इसके पीछे म्यूनिसिपल कमिश्नर ने जिस जज्बे से काम किया, उसका नतीजा है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में इन्दौर प्रथम स्थान पर है।
सचिव आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के तौर पर कई बार इन्दौर शहर गया वहां लोगों में इतनी एनर्जी और उत्साह था कि हर कोई दिखाना चाहता था कि हमने स्वच्छता के लिये क्या किया, क्योंकि वहां के नगर निगम के अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों ने मिशन के तौर पर कार्य किया। उन्होंने कहा कि शहर के साफ-सुथरा होने से शहर की नई इमेज बिल्ड होती है, शहर और प्रापर्टी की वैल्यू बढ़ जाती है, लोगों के स्वास्थ्य और सोच में फर्क आ जाता है। इसलिये शहरों को स्वच्छ बनाने के लिये शहरों की रेटिंग करना प्रारम्भ की गई है। प्रधानमंत्री जी ने 15 अगस्त, 2014 में कहा था कि जब 2019 में हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनाएँगे, तो हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हमारा कोई भी गांव, शहर, गली-मोहल्ला, स्कूल, मंदिर, अस्पताल सहित सभी क्षेत्रों में हम गंदगी का नामोनिशान नहीं रहना चाहिए, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उन्होंने कहा कि लोगों को विश्वास नहीं था कि शहर कैसे स्वच्छ होंगे। प्रधानमंत्री जी ने 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन के लांच के अवसर पर कहा था कि यह एक जन आंदोलन है। यह कार्यक्रम तभी सफल होगा जब देश के 125 करोड़ लोग इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे। स्वच्छता हमारे अंदर, उस चीज को पुनः जागृत करना है। उन्होंने कहा कि हर जन तक स्वच्छता को उनके व्यवहार में शामिल करा देंगे, तब स्वच्छ भारत मिशन सफल होगा। उन्होंने कहा कि गांधी जी का मानना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता से कहीं ज्यादा जरूरी है स्वच्छता। देश स्वच्छ तभी होगा जब देश के नागरिक देश को स्वच्छ बनाने के लिये निर्णय लेंगे। इस मिशन को सरकारी कार्यक्रम नहीं जन आंदोलन का रूप देना है।
उन्होंने कहा कि सचिव शहरी एवं आवासन के तौर पर शहरों को स्वच्छ बनाने के लिये स्वच्छता सर्वेक्षण के लिये अलग-अलग पैमाने और लक्ष्य तय किये। पहला हमारा लक्ष्य ओडीएफ सिटी व गार्बेज फ्री सिटी था। इस तरह लेवल को आगे बढ़ाते चले गये। ओडीएफ के बाद ओडीएफ प्लस किया उसके बाद ओडीएफ प्लस प्लस किया। इस तरह नदियों व तालाबों को स्वच्छ बनाने के लिये वाटर प्लस किया इसी तरह से नये-नये बेंचमार्क्स निर्धारित किये। उन्होंने कहा कि स्वच्छता को आदत में शामिल कराना है। इस मिशन को जन-जन तक ले जाना है। मूल मंत्र रिड्यूस, रीयूज और रिसाईकिल को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। वेस्ट को कम करने के लिये कार्य करें। आज हर शहर ओडीएफ घोषित हो चुके हैं, हर घर में ट्वायलेट्स हैं। उन्होंने पब्लिक ट्वायलेट्स को स्वच्छ बनाने के लिये अधिकारियों को कार्य करने की आवश्यकता पर बल देते हुये कहा कि पब्लिक ट्वायलेट्स को रिसोर्सफुल बनायें। विचार कर क्लीन और हाईजेनिक सिस्टम विकसित करें। पब्लिक ट्वायलेट्स के ऊपर का स्पेस मार्केट या ट्रेनिंग सेण्टर या एटीएम आदि बना सकते हैं। इस पर अधिकारियों को विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि शहर को कोई भी ट्वायलेट्स ऐसा नहीं होना चाहिये जिसमें प्रापर हाईजीन न हो, बिजली न हो, पानी न हो। स्वच्छता सर्वेक्षण के प्राप्त आंकड़ों एनालिसिस कर जो भी अवशेष रह गये हों, ओडीएफ-प्लस बनाया जाये और ओडीएफ प्लस प्लस के लिये भी कार्य करें। ओडीएफ प्लस प्लस के लिये हर शहर में एफएसटीपी लगायी जा सकती है। प्रदेश के 10 शहरों को टारगेट कर वाटर प्लस बनाने का लक्ष्य निर्धारित करें। उन्होंने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रेरक दौर सम्मान की घोषणा की गई है। दौर का अर्थ है दिव्य (प्लेटिनम), अनुपम (स्वर्ण), उज्ज्वल (रजत), उदित (कांस्य), आरोही (आकांक्षी) है। कॉपर से लेकर प्लेटिनम तक ट्रांसपैरेंट बेंचमार्क्स तय किये गये हैं। कम से कम पांच शहर प्लेटिनम तक पहुंच जायें, लक्ष्य निर्धारित करें और उनके साथ सीएम फेलोज् को लगाकर शहरों को ट्रांसफार्म करें। रैंकिंग में सुधार के लिये कार्य करें।
मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। शहर हमारे अर्थव्यवस्था की वृद्धि के इंजन होते हैं। इंजन इतना बढ़िया होना चाहिये कि पूरी-पूरी की गाड़ी तेजी से चल सके। हमारे शहर स्वच्छ, स्मार्ट, सस्टेनबल होने चाहिये, वहां भूमि, जल व वायु स्वच्छ होने चाहिये। उन्होंने कहा कि वेस्ट को वेल्थ में परिवर्तित करने के लिये कार्य करें। मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) के द्वारा कूड़े को अलग-अलग कर हर एक को रिसाईकिल कर वैल्यू प्राप्त कर सकते हैं। कार्पोरेशन लाखों-करोड़ों रूपये कमा सकते हैं। उन्होंने अपेक्षा की कि सभी शहरों में एमआरएफ लगा दिया जाये, इससे लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश को स्वच्छ बनाने के लिये यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। निदेशक नगरीय निकाय से अपेक्षा की कि कार्यशाला के उपरान्त भाग लेने वाले म्यूनिसिपल कमिश्नर, एक्जीक्यूटिव ऑफिसर सहित जिन भी लोगों ने भाग लिया है, उनसे 10 प्रश्न पूछे जायें कि उन्होंने कार्यशाला से क्या-क्या 5 चीजें सीखीं हैं और अपने शहर को स्वच्छ बनाने के लिये उनके क्या 5 कमिटमेंट हैं ? उनकी समरी मेरे समक्ष प्रस्तुत की जाये।