New Delhi। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) गुरुवार को मध्य प्रदेश के नीमच में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ‘सीआरपीएफ’ दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। ‘सीआरपीएफ’ के 86वें स्थापना दिवस की परेड में उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने हमेशा देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। देश में जब भी कहीं अशांति होती है और वहां सीआरपीएफ जवान उपस्थित होते हैं तो मुझे यह भरोसा होता है कि सीआरपीएफ मौजूद है तो विजय सुनिश्चित है।
सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन को आता देख दुर्दांत नक्सलियों की रूह काँप जाती है। सीआरपीएफ ने विगत 5 साल में नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में 400 से अधिक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए हैं। इसी कारण 10 साल में नक्सली हिंसा में 70 प्रतिशत से अधिक कमी आई है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने सीआरपीएफ के 2264 कर्मियों द्वारा देश की सुरक्षा के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि दी। जब भी देश की आजादी की शताब्दी का स्वर्ण ग्रंथ लिखा जाएगा, उस वक्त सबसे पहले देश के अमर शहीदों की वीरता की गाथा स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएगी।
2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने के बाद यह निर्णय लिया गया था कि सभी सुरक्षाबलों का स्थापना दिवस देश के अलग अलग हिस्सों में मनाया जाएगा। उसी निर्णय के तहत सीआरपीएफ की यह वार्षिक परेड नीमच में आयोजित की गई है।
सीआरपीएफ का योगदान देश की सुरक्षा से अलग हटकर देखा ही नहीं जा सकता। गृह मंत्री ने कहा कि चाहे कश्मीर में आतंकवादियों से जूझना हो, पूर्वोत्तर में शांति के लिए तैनात रहना हो या फिर दुर्दांत नक्सलियों को 4 ज़िलों तक सीमित करना हो, हमारे सीआरपीएफ के जवानों का इन सबमें बहुत बड़ा योगदान रहा है। 2001 में हमारे लोकतंत्र के प्रतीक देश के संसद भवन पर हमला हुआ और सीआरपीएफ ने उसे भी नाकाम किया।
इसी प्रकार, 2005 में श्रीरामजन्मभूमि पर आतंकी हमला हुआ और उसे भी निरस्त करने का काम सीआरपीएफ ने किया। मंदिर को सुरक्षित बनाए रखा। पशुपतिनाथ से तिरुपति तक लाल आतंक फैलाने का सपना देखने वाले नक्सली आज 4 जिलों तक सीमित हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान सीआरपीएफ का है। सीआरपीएफ की सबसे बड़ी भूमिका और योगदान देश को नक्सलवाद से मुक्त करने में रहेगा।