आज हम बात करेंगे 10 October को मनाए जाने वाले World Audiologist Day की, इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य यह है कि हम अपनी सुनाई देने के तंत्र यानी कान को स्वस्थ रखें और अपने परिवार, रिश्तेदार और मित्रों को इस बात से अवगत कराएं। अगर किसी को सुनने में कोई कठिनाई हो रही है तो उसे दूर करने के लिए उसका उपचार करें।
इस समस्या से निजात दिलाने की सबसे कारगर प्रक्रिया ऑडियोलॉजी कहलाती है, जो सुनने संबंधी समस्याओं का एक प्रकार का अध्ययन है। इसे श्रवण विज्ञान भी कहते हैं। इसके तहत सुनने की क्षमता में कमी की वजह जानने-समझने का प्रयास किया जाता है। दरअसल यह श्रवण, संतुलन और संबंधित विकारों का विज्ञान है। इस विषय के एक्सपर्ट्स ऑडियोलॉजिस्ट (Audiologist) कहलाते हैं, जो मरीज के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करते हैं। ऑडियोलॉजिस्ट हियरिंग एंड बैलेंस (Hearing and balance) संबंधी समस्याओं की जांच के बाद उपचार बताते हैं और हियरिंग एड के उपयोग संबंधी सलाह देते हैं।
अभी देश में प्रदूषण की बढ़ती समस्या की वजह से पिछले कुछ सालों में ऑडियोलॉजिस्ट जैसे ट्रेन्ड पैरामेडिकल प्रोफेशनल की डिमांड तेजी से बढ़ी है। एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया भर में 46.6 करोड़ लोगों को कम सुनाई देने की समस्या है। देश की करीब 6 फीसदी आबादी हियरिंग लॉस (Hearing Loss) की शिकार है। कान की बीमारियों की बड़ी वजह है ध्वनि प्रदूषण। डीजे, वाहनों के तेज हॉर्न और शोर पैदा करने वाले यंत्रों व अन्य कई कारणों से सुनने की क्षमता कम हो जाती है। कुछ लोगों में उम्र बढ़ने के साथ भी सुनने की क्षमता कम हो जाती है। ऑडियोलॉजिस्ट हियरिंग लॉस यानि बहरेपन के शिकार मरीज़ का इलाज करते हैं और जरूरत के अनुसार हियरिंग एड (Hearing Aids) लगाने की सलाह देते हैं।
हमारे आस-पास का वातावरण, जो किसी तेज आवाज देने वाली फैक्ट्री या कारखाने के पास है तो हर 6 महीने में सुनवाई की जांच करवाना चाहिए। क्योंकि यदि किसी मर्ज का काफ़ी दिन तक उपचार न किया जाये तब भी सुनने की क्षमता कम हो सकती है। इतना ही नहीं यदि किसी की उम्र 45 वर्ष से ज्यादा है और आपको किसी से बात करते समय ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ती है तो तब भी आपको सुनाई की जांच अवश्य कराना चाहिए। इसलिए सिर्फ इतना ही कहना काफी है मर्ज को पालिये लिए उसका समय रहते उचित उपचार कराएं।