व्रत करते समय उचित खानपान रखेंगे तो शरीर को भी इसका पूरा लाभ होगा. तला-भुना, तेज मसालेदार लेने से पित्त बढ़ सकता है. बुखार और अन्य समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए प्रयास संतुलित आहार लेने की करें.
व्रत के दौरान लोग संतुलित खानपान पर ध्यान नहीं देते हैं. इससे शरीर में अग्नि मंद हो जाती है. व्रत का उद्देश्य पित्त कम कर हल्का और सुपाच्य खाकर स्वास्थ्य वर्धक रहना है. व्रत में उचित खानपान से स्वास्थ्य को मजबूत कर सकते हैं. तला-भुना, तेज मसालेदार लेने से शरीर में पित्त की वृद्धि हो सकती है. बुखार और अन्य समस्याएं हो सकती हैं,जरूरी है कि संतुलित आहार लें. भोजन में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जिनमें फाइबर अधिक व वसा की मात्रा कम हो. भोजन हल्का और सुपाच्य हो. डिहाइड्रेशन से बचने के लिए एनर्जी युक्त तरल पदार्थ लेने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है. खानपान का ध्यान न रखने से व्रत के बाद डिहाइड्रेशन, बदहजमी, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी परेशानी हो सकती है.
व्रत से पूर्व हल्का खाना –
व्रत से एक दिन पहले हल्की डाइट लें. रात को खाने में फल, खिचड़ी, दलिया ले सकते हैं. बीमार हैं तो व्रत से पहले डॉक्टरी परामर्श ले सकते हैं. हर दो घंटे में तरल-पदार्थ लेते रहें. मधुमेह रोगी ज्यादा देर खाली पेट न रहें. चार-पांच चीजें एकसाथ खाने के बजाय दो-तीन घंटे के अंतराल में थोड़ा-थोड़ा खाएं.
रेडीमेड फूड से बचें –
बाजार में व्रत के लिए उपलब्ध केले और आलू के चिप्स, रेडीमेड आहार न लें. मात्रा से ज्यादा चीनी, तली-भुनी चीजें, पुड़ी न खाएं. पित्त बढ़ता है.
नमक का रखें ख्याल –
व्रत में सामान्य नमक नहीं लेते हैं, सेंधा नमक लें. इसमें पोटैशियम की मात्रा ज्यादा और सोडियम की मात्रा कम होती है. किडनी की बीमारी में मात्रा से ज्यादा सेंधा नमक न लें. कुट्टू और सिंघाड़े का आटा शरीर के पाचन तंत्र को बढ़ाता व हाई बीपी में लाभदायक है. इसमें 70-75 फीसदी कार्ब और 20-25 फीसदी प्रोटीन होता है. व्रत में कुट्टू के प्रयोग से कमजोरी महसूस नहीं होती है. विटामिन-ई युक्त ड्राई फ्रूट्स लें.