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प्रेग्नेंसी की आरंभ से ही महिलाओ को इस चीज़ का रखना चाहिए ध्यान

शिशु baby की सुरक्षा
प्रेग्नेंसी की आरंभ से ही विशेषज्ञ expert और परिजन महिला को खानपान, चलने-फिरने, उठने-बैठने से लेकर कई बातों पर सावधानी बरतने के लिए कहते हैं. इन सभी की आदत महिला को पहले से नहीं होती और पहली तिमाही में ऐसा लगातार करने से भी कई बार शिशु की सुरक्षा का खयाल दिमाग पर हावी होने से मूड स्विंग की कठिनाई होती है. 2-3 माह में इन सभी की आदत होने के बाद महिला सामान्य हो जाती है.


हार्मोंस Hormones में परिवर्तन
गर्भावस्था के दौरान खासतौर पर एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर घटता और बढ़ता रहता है. ऐसे में प्रोजेस्ट्रॉन का स्तर ज्यादातर समय अधिक होता है ताकि गर्भस्थ शिशु Baby को पोषण मिलता रहे. इससे स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल पर प्रभाव होने से चिड़चिड़ापन आता है.
मिचली आना
गर्भधारण के बाद कुछ दिन महिला को बार-बार उल्टी आने जैसा लगता है. जिससे वह शारीरिक रूप से परेशान रहती है. साथ ही कुछ खाने का मन न होने, कब्ज, बार-बार यूरिन आने का आकस्मित सामना न कर पाने से उनमें खासकर प्रातः काल चिड़चिड़ापन रहता है.
ये अपनाएं : महिला सबसे पहले स्वीकार करे कि उसके अंदर जीव पल रहा है. फिर विशेषज्ञ से मिलकर काउंसलिंग ले ताकि शरीर में हो रहे बदलावों को समझे और महत्वपूर्ण एहतियात बरतें.
पॉजिटिव Positive परिवर्तन भी
स्वभाव में होने वाले ये परिवर्तन सिर्फ निगेटिव नहीं होते, कुछ स्त्रियों को घबराहट होने के अतिरिक्त अधिक खुशी, आश्चर्य, संयम खोना, उत्सुकता जैसा भी महसूस होता है.

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