आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश पाकिस्तान की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं। बीते कुछ समय से विदेशी कर्जे पर निर्भर पाकिस्तान के कृषि और कपड़ा क्षेत्र पर आईएमएफ ने कड़ी टिप्पणी की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान से कहा है कि वह इन क्षेत्रों को तरजीह देना और कर में छूट देना बंद करे। आईएमएफ के अनुसार इन क्षेत्रों ने देश के विकास की संभावनाओं को दशकों से अवरुद्ध कर रखा है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी स्टॉफ रिपोर्ट में पाकिस्तान की संघर्षरत अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के कारणों पर चर्चा की है। रिपोर्ट में पाकिस्तान की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति का जिम्मेदार कृषि और कपड़ा क्षेत्र को ठहराया गया है। आईएमएफ के अनुसार ये क्षेत्र देश के राजस्व में पर्याप्त योगदान नहीं दे रहे। ये क्षेत्र सरकारी पैसे का एक बड़ा हिस्सा मदद के दौर पर लेने के बावजूद अकुशल और अप्रतिस्पर्धी बने हुए हैं।
हाल ही में वैश्विक ऋणदाता से सात अरब डॉलर की मदद (EFF) हसिल करने वाले पाकिस्तान को आईएमएफ ने कहा है कि उसे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए 75 साल से जारी आर्थिक प्रथाओं को बदलना होगा।
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आईएमएफ ने 10 अक्तूबर को जारी रिपोर्ट में कहा कि अपने जैसे दूसरे देशों की तुलना में पाकिस्तान काफी पिछड़ा है। इससे यहां के लोगों का जीवनस्तर प्रभावित हुआ है और 40 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे पहुंच गई है।
आईएमएफ के अनुसार पाकिस्तान निर्यात के लिए चीजें बनाने में असफल रहा। ज्ञान आधारित निर्यात भी कम बना हुआ है, क्योंकि यह क्षेत्र भी नवाचार (इनोवेशन) करने में विफल रहा। साल 2022 में पाकिस्तान आर्थिक जटिलता सूचकांक में 85वें नंबर पर रहा, इस इंडेक्स में पाकिस्तान वर्ष 2000 में भी इसी स्थान पर था।