chief justice पर कांग्रेस के साथ 7 पार्टियों ने महाभियोग लाने का प्रस्ताव दिया है। जिस तरह से विपक्ष अपना और देश की राजनीति के साथ सामाजिक स्तर को देश की चिंता छोड़कर गिरा रहा है। उससे साफ है कि विपक्ष को सत्ता की भूख किस हद तक जा सकती है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव दिया है। शुक्रवार को उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू को सौंपे गए इस प्रस्ताव में विपक्ष ने प्रधान न्यायाधीश पर पांच आरोप लगाए और महाभियोग शुरू करने की मांग कर दी। विपक्ष के इस तरह के गिरते स्तर को देखते हुए देश के अधिकांश लोगों में इस महाभियोग का विरोध देखने को मिल रहा है। लोगों ने विपक्ष के महाभियोग की रणनीति को बहुत ही घटिया मानसिकता की सोच बताते हुए विरोध व्यक्त कर रहे हैं।
chief justice का पूरा होने वाला है कार्यकाल
चीफ जस्टिस पर महाभियोग के दांव में एक ओर जहां कई रोड़े हैं। वहीं विपक्ष इसमें सफल नहीं हो सकता है। अगर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू भी हुई तो उसके पूरा होने से पहले ही चीफ जस्टिस का कार्यकाल पूरा हो चुका होगा। क्योंकि वह 2 अक्टूबर को रिटायर होंगे। महाभियोग को सबसे पहले तो राज्यसभा के सभापति यानि उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस प्रस्ताव को खारिज कर सकते हैं। दरअसल, इस प्रस्ताव के लिए लोकसभा के 100 या उच्च सदन यानि राज्यसभा के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी हैं, लेकिन राज्यसभा के सभापति को प्रस्ताव को मंजूर करने या उसे खारिज करने का अधिकार है।
महाभियोग प्रस्ताव की जीत के लिए 123 वोट जरूरी
महाभियोग का प्रस्ताव अगर शुरू भी हुआ तो रिपोर्ट खिलाफ होने पर न्यायाधीश की राज्यसभा में पेशी होगी। जिसके बाद वोटिंग की शुरू होगी। जिसमें प्रस्ताव की जीत के लिए 123 वोट होना जरूरी है। जबकि विपक्ष के जिन 7 दलों ने महाभियोग का प्रस्ताव रखा है। उनके उच्च सदन में सिर्फ 78 सांसद हैं। जिससे प्रस्ताव का गिरना तय है।
समिति देगी जांच रिपोर्ट
अगर महाभियोग प्रस्ताव मंजूर हुआ तो तीन सदस्यीय समिति का गठन होगी। जो आरोपों की जांच करेगी। इस 3 सदस्यीय समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक कानून विशेषज्ञ होंगे। समिति आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
राज्यसभा के बाद लोकसभा में विपक्ष के पास नहीं है संख्याबल, फर्जी समय बर्बाद कर रहा विपक्ष
अगर इस मुद्दे पर विपक्ष एक हुआ तो वह राज्यसभा में जीत जाएगा। जिसके बाद लोकसभा में पेशी होगी। लेकिन संख्याबल के अनुसार विपक्ष की हार तय है। इससे भी ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि इस प्रक्रिया में 6 महीने से अधिक समय लगना तय है। तब तक चीफ जस्टिस रिटायर हो चुके होंगे। इसलिए विपक्ष की यह रणनीति देश के विकास के लिए बाधक है। जिससे देश का विश्व में बढ़ते विकास को अवरोध उत्पन्न होगा। पहले भी विपक्ष के हंगामा और संसद को न चलने देने के कारण विपक्ष देश का करोड़ों रूपया बर्बाद करवा चुका है। इसके साथ कई बिल और प्रस्ताव को भी लंबित हैं।