लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिये उत्तर प्रदेश में महागठबंधन जरूर बनेगा। इसके लिये सपा-बसपा, कांग्रेस और रालोद की जिम्मेदारी तय है। सभी दल मिलकर मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे। यह कहना है समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का। एक अखबार को दिये इंटरव्यू में सपा प्रमुख ने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी, महंगाई और बेरोजगारी से जनता त्रस्त है। यही परेशान जनता 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर देगी।
महागठबंधन में शामिल दलों को पिछले प्रदर्शन
यूपी में महागठबंधन की बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में शामिल दलों को पिछले प्रदर्शन के आधार पर जिम्मेदारी निभानी होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा को 05 सीटें मिली थीं, इस बार हमारी जिम्मेदारी बीजेपी को पांच सीटों पर लाने की है। बसपा की जिम्मेदारी है कि वह बीजेपी को खाता न खोलने दे, क्योंकि पिछले चुनाव में बसपा का खाता नहीं खुला था। इसी तरह कांग्रेस की जिम्मेदारी यूपी में बीजेपी को 02 सीटों पर और रालोद की जिम्मेदारी 01 सीट पर समेटने की है।
विपक्ष देश को देगा एक नया प्रधानमंत्री
बीजेपी का कहना है कि नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिये विपक्ष के पास प्रधानमंत्री पद के लिये कोई चेहरा ही नहीं है। इस सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि गोरखपुर, फूलुपर और कैराना उपचुनाव में प्रदेश की जनता ने बीजेपी के इस सवाल का जवाब दे दिया है। विपक्ष देश को एक नया प्रधानमंत्री देगा, जिसका जनता इंतजार कर रही है। अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी दल बसपा के साथ आने पर अखिलेश यादव ने कहा कि हमसे लोग कहते थे कि आप किससे दोस्ती कर रहे हो, वह तो जीरो (बसपा) वाले हैं। हमने कहा कि हम समाजवादी लोगों ने बीजेपी का ही फॉर्मूला सीख लिया है कि कहां जीरो लगाना है। अखिलेश यादव ने कहा कि 2012 से अब तक कई साल बीत चुके हैं। इस बीच काफी परिस्थितियां बदल गई हैं और मुद्दे भी नये हो गये हैं।
परिवारवाद का आरोप खत्म
शिवपाल यादव के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश यादव ने कहा कि चाचा का सम्मान है। समाजवादी सेक्युलर मोर्चे द्वारा यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान पर सपा प्रमुख ने कहा कि चलो अच्छी बात है। अखिलेश यादव ने कहा चलो इसी बहाने ही सही हम लोगों पर लग रहा परिवारवाद का आरोप भी खत्म हो जाएगा। साथ ही यह भी साबित हो गया कि कम से कम हमारे यहां तो लोकतंत्र है। इस देश में सबको अपना विचार रखने की आजादी है।