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‘पाकिस्तान में 10 साल की तानाशाही थोपने की योजना’, इमरान खान बोले- गलत काम करने पर मिल रहा पुरस्कार

पाकिस्तान के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि जब तक मौजूदा ‘फासीवादी व्यवस्था’ कायम है, तब तक आर्थिक प्रगति कभी नहीं हो सकती है और चेतावनी दी है कि पाकिस्तान में ’10 साल की तानाशाही’ थोपने की योजना है। उन्होंने एक्स पर एक ट्वीट में कहा, ‘पाकिस्तान में दस साल की तानाशाही थोपने की योजना है, जिसमें से दो साल पहले ही बीत चुके हैं। जो जज या पुलिस अधिकारी उत्पीड़न में शामिल होते हैं, उन्हें यहां पदोन्नति से पुरस्कृत किया जाता है।’

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उन्होंने कहा, ‘मेरे खिलाफ गैरकानूनी फैसला देने वाले जज हुमायूं दिलावर को पदोन्नत कर दिया गया, जबकि रावलपिंडी और सरगोधा के जजों को बर्खास्त कर दिया गया, जिन्होंने निष्पक्ष फैसले दिए थे।’ उन्होंने कहा, ‘इस तरह की कार्रवाइयों ने देश में योग्यता और कानून के शासन को खत्म कर दिया है।’

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फासीवादी व्यवस्था होने तक आर्थिक प्रगति संभव नहीं- इमरान

इमरान खान ने आगे कहा कि देश में आर्थिक प्रगति तब तक नहीं हो सकती जब तक मौजूदा ‘फासीवादी व्यवस्था’ कायम है। आर्थिक समृद्धि के लिए निवेश की आवश्यकता होती है, जो संविधान की तरफ से परिभाषित अपनी सीमाओं और जिम्मेदारियों का पालन करने वाले संस्थानों के बिना असंभव है।

देश में बढ़ता आतंकवाद निवेशकों के विश्वास को अपूरणीय क्षति पहुंचा रहा है। सेना का स्पष्ट संदर्भ देते हुए इमरान खान ने आगे कहा, ‘दुखद है कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए जिम्मेदार लोग अपने सभी संसाधनों और ऊर्जा का उपयोग हमारी पार्टी को घेरने के लिए कर रहे हैं।’ उन्होंने व्यक्तिगत अहंकार और अस्थायी लाभ से ऊपर उठने और देश की शालीनता और समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।

‘इस्लामाबाद विरोध प्रदर्शन में शामिल पार्टी के कई लोग लापता’
पीटीआई सुप्रीमो ने याद दिलाया कि इस्लामाबाद में 26 नवंबर को हुए विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले उनकी पार्टी के कई लोग अभी भी लापता हैं। उन्होंने कहा, ‘ये लोग इस्लामाबाद के डी-चौक से गायब हुए हैं, किसी दूरदराज के कबायली इलाके से नहीं। सरकार ने न तो उन्हें अदालत में पेश किया और न ही उन्हें वापस लाने के लिए कोई गंभीर कदम उठाए।’ उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से उनकी पार्टी की मांगों और बातचीत की प्रक्रिया के बारे में सरकार की गंभीरता की कमी को दर्शाता है।

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