Breaking News

बदलते समय में भारत में भी प्राथमिकताएं तेजी से बदली हैं- डॉ दिनेश शर्मा

दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉ दिनेश शर्मा ने आज इंडिया हैबिटेट मैं सोशल इंपैक्ट कॉन्फ्रेंस एवं अवॉर्ड्स (SICA) के चौथे संस्करण मैं आयोजित संपूर्ण देश से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के संदर्भ में देखने पर लगता है कि बहुत तेजी के साथ प्राथमिकताएं बदल रही हैं।

बदलते समय में भारत में भी प्राथमिकताएं तेजी से बदली हैं- डॉ दिनेश शर्मा

उन्होंने कहा, हमारा रहन सहन, हमारा आचार व्यवहार, हमारा संस्कार और विश्व पटल पर हमारी भूमिका में तेजी से बदलाव हो रहा है। हाल में निकले एक सर्वेक्षण के अनुसार करोना के बाद तमाम देशों की अर्थव्यवस्था में काफी परिवर्तन हुआ है। कई बैंकों की अर्थव्यवस्था खराब हुई तो कहीं आर्थिक संकट खड़ा हुआ तो कही सामाजिक विसंगतियां उत्पन्न र्हुई लेकिन भारत थोड़े से झटके के साथ फिर से खड़ा हो गया है।

रूसी राष्ट्रपति से एनएसए अजीत डोभाल ने की मुलाकात, पुतिन ने रखा पीएम मोदी के साथ बैठक का प्रस्ताव

इसका एक कारण तो यह रहा कि यहां के निवासियों विशेष तौर पर महिलाओं में बचत की भावना बहुत अधिक है तथा सब एक दूसरे के लिए समर्पित भाव से काम करते हैं। करोना आया तो गांव गांव लोग वैक्सीन लगवाने और मदद करने को दौड़ पड़े ।इसके लिए कोई प्रशिक्षण या आदेश नही हुआ किंतु वैक्सीन 130 करोड़ लोगों के पास पहुंच गई। ऐसा इसलिए हुआ कि यहां के लोगों को अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध है। लोग केवल अपने लिये ही काम नही करते बल्कि पूरी लगन से दूसरों के लिए भी काम करते हैं।यहां के लोगों में अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को समझना और उसी के अनुरूप काम करना ही हमारी प्रारंभिक प्रगति का कारण रहा है।

Please also watch this video

सांसद शर्मा ने कहा कि पूर्व में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था । उस समय न तो वृद्धा आश्रम होते थे और ना ही शिशु संरक्षण गृह होते थे। बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था उनका पड़ोसी भी कर देता था। लोग आस पास के रहनेवालों की सहायता किया करते थे। मनोभाव से समाज के प्रति चिंतन और मदद का भाव है।शायद यही कारण है भारत पर जब भी कोई संकट आता है झेल जाता है।

उन्होंने एक अन्य संर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि पश्चिमी देशों के बच्चे अक्सर नशे में चले जाते हैं। कम उम्र में ही वे ऐसी घटनाए कर देते हैं जो अपराध की सीमा में आती हैं।ऐसा इसलिए है कि वहां पर सामाजिक समरसता नही है।भारतीय परिवेश और विदेशी परिवेश में यही प्रमुख अंतर है। वहां बाजार से तीन दिन का खाना ले आते हैं जिसे फ्रिज में रखकर तीन दिन तक खाते हैं।

किंतु वहां आपसी सौहार्द्र नही है किंतु भारत में चूल्हा सिस्टम के अंतर्गत चूल्हे पर रोटी बनती है और घर की महिलाओं का यह प्रयास होता है कि वे गर्म खाना परिवार को खिलाएं।रोटी बनाते समय सास की बहू से पति की पत्नी से और बच्चों से बात भी हो जाती है। यही पारिवारिक एकता का मूल मंत्र है और संभवतः इसी का अनुसरण अब विदेश के लोग भी करने लगे हैं।

Please also watch this video

डा शर्मा ने कहा कि भारतीय व्यवस्था का अनुसरण आज विदेश कर रहा है। अमेरिका के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अमेरिकन महिलाओं को भारत की मारवाड़ी महिलाओं का अनुसरण करना चाहिए क्योंकि मारवाड़ी महिलाएं घर में बचत भी करती है तथाा घर में व्यवसाय उत्पन्न हो इसका प्रयास भी करती हैं।वे संयुक्त परिवार में समन्वय स्थापित करती हैं और बच्चों में शुरू से ही संस्कार पैदा करने की कोशिश भी करती हैं और सामाजिक सामंजस्य भी स्थापित करती हैं। आज यह काम एनजीओ कर रहे हैं क्योंकि हमारी पुरानी व्यवस्थाएं छिन्न भिन्न हो रही हैं तथा गांवों से शहर की ओर पलायन हो रहा है। अम्बेदकर जी केा पढ़ने के लिए किसी राजा( समृद्ध व्यक्ति) ने सहयोग किया था तथा कथाओं में मिलता है कि किसी न किसी का सहयोग लेकर लोग आगे बढ़ते रहे। ये व्यवस्थाएं आजादी के बाद कम हुई हैं।

बदलते समय में भारत में भी प्राथमिकताएं तेजी से बदली हैं- डॉ दिनेश शर्मा

सांसद शर्मा ने कहा कि उन्हें खुशी है कि समाज के प्रति अपना दायित्व निभानेवाली संस्थाओं को आज सम्मानित किया जा रहा है वास्तव में यह कार्यक्रम समाज को जागृत करने का है। उन्होंने पाश्चात्य संस्कृति और भारतीय संस्कृति की तुलना करते हुए कहा कि जहां पाश्चात्य संस्कृति में यह है कि जो पैदा हुआ है वह कमाएगा और जब कमाएगा तो खाएगा जब कि भारतीय संस्कृत में है कि जो पैदा हुआ है वह कमाएगा और जो कमाएगा वह खिलाएगा। सर्वे भवन्तु सुखिनः के विचार को लेकर भारतीय व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं।

हमारी परंपरा यही रही है कि राजा या अन्य लोग अपनी आय का कुछ अंश समाज के लिए निकालते थे। यह काम आज बड़े बड़े कारपोरेट घराने कर रहे हैं उनके कार्य को अंजाम तक पहुचाने का जो काम करते हैं उन्हें आज यहां सम्मानित किया जा रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि राष्ट्र के विकास की जो अविरल धारा है उसमें उपस्थित एनजीओ अमृत का काम करेंगे। हमारे देश में दानवीर लोगों की कमी नही है वे केवल यह देखते हैं कि वे जो धनराशि समाज के कल्याण के लिए निकाल रहे हैं वह कहां तक उन तक पहुंचती है।

शिल्पकारों पर दिखेगा आरजी कर घटना का असर, बांग्लादेश हिंसा का प्रभाव कुम्हार टुली के बाजार में दिखा

डा शर्मा ने विखंडित हो रहे परिवारों का जिक्र करते हुए कहा कि आज दुर्भाग्य है कि बेटा और उसके माता पिता एक ही शहर में भले रह रहें हो किंतु बेटा अपनी पत्नी के साथ अलग रह रहा हेै और बूढ़े माता पिता वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा आज 70 साल से ऊपर के वृद्धो को आयुष्मान योजना के अंतर्गत चिकित्सा व्यवस्था में शामिल करने पर बधाई देते हुए कहा की आज समाजिक सोंच को जगाने की जरूरत है। टाटा संस्थान दान के लिए जाने जाते हैं तथा शायद आज जितनी संपत्ति कुछ उद्योगपतियों की होगी उससे अधिक टाटा ने अब तक दान कर दिया है।सामाजिक कार्यक्रम, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में जितना दान करेंगे उतना ही तरक्की करेंगे।

Please also watch this video

सामाजिक परिवर्तन देश की प्रगति का आइना है। उन्होंने कहा कि कुछ एनजीओं जब अपने उद्येश्य से भटक जाते हैं तो उन पर अंकुश रखने के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ता है मोदी सरकार में आज उन पर अंकुश भी लगा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अच्छे एनजीओ समाज के ताने बाने को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।

इस अवसर पर अध्यक्ष चेयरपर्सन, यंग फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन दिल्ली, पायल कनोडिया, चेयरपर्सन स्पार्क मिंडा फाउंडेशन, सारिका मिंडा, भारत सरकार के पूर्व सचिव एवं सीईओ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉरपोरेट अफेयर्स, डीआर भास्कर चटर्जी, आशीष झा, आईआईटी, मदुरई से डीआर विग्नेश एवं जगन मोहन रेड्डी आदि उपस्थित थे।

About Samar Saleel

Check Also

भारत ने प्राकृतिक आपदाओं से घिरे म्यांमार और नामीबिया को भेजी मदद

नई दिल्ली। भारत तूफान, बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त जरूरतमंद देशों की ...