उत्तर प्रदेश के हाथरस की गैंगरेप पीडि़ता का रात में अंतिम संस्कार करने पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया है. सरकार ने दावा किया है कि वो चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट सीबीआई जांच की निगरानी करे. सरकार ने यह भी दावा किया कि परिवार के सदस्य भविष्य में हिंसा के आसार देखते हुए आधी रात में अंतिम संस्कार के लिए सहमत हुए और यह कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए किया गया.
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पीडि़ता ने पुलिस को दिए अपने बयान में बलात्कार का जिक्र नहीं किया. उसने अपने दूसरे बयान में बलात्कार का आरोप लगाया और सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. बता दें अदालत इस मामले की सुनवाई आज शुरू कर दी है.
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि सीबीआई या एसआईटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच के लिए उचित आदेश पारित किया जाए और मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाए क्योंकि उत्तर प्रदेश के अधिकारी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल हैं.
हाथरस मामले में अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के सदस्यों द्वारा भाजपा सरकार को बदनाम करने के लिए साजिश रची जा रही है. कहा गया है कि जानबूझकर और योजनाबद्ध तरीके से राज्य में जातीय एवं सांप्रदायिक दंगा कराने का प्रयास किया जा रहा है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एक पीठ सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव की याचिका पर सुनवाई करेगी.