Breaking News

‘द आर्ट ऑफ़ एडल्टहुड’ पुस्तक का लोकार्पण आत्म-खोज और विकास का उत्सव बना

नोएडा। ‘द आर्ट ऑफ़ एडल्टहुड’ का लोकार्पण आत्म-खोज, विकास और संकल्पशक्ति का उत्सव बना, जिसने पाठकों को वयस्क जीवन की जटिलताओं को समझने और संभालने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।

Mamta Kulkarni महामंडलेश्वर पद से हटीं, लक्ष्मी त्रिपाठी से भी छीना गया पद

‘द आर्ट ऑफ़ एडल्टहुड’ पुस्तक का लोकार्पण आत्म-खोज और विकास का उत्सव बना

यह आयोजन एक अंतरंग लेकिन ऊर्जावान माहौल में संपन्न हुआ, जिसमें लेखकों, रचनात्मक व्यक्तियों और उत्साही पाठकों ने भाग लिया। पुस्तक के सूक्ष्म और गहरे विषयों को समझने के लिए यह एक बेहतरीन मंच बना।

शाम की शुरुआत लेखक मनीष वर्मा, आईएएस और अंकिता राज के प्रेरणादायक संबोधन से हुई, जिसमें उन्होंने पुस्तक की प्रेरणा और अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। उन्होंने आत्म-विश्लेषण, सार्थक संबंधों के निर्माण और संतुलन खोजने जैसे विषयों पर चर्चा की, जिससे द आर्ट ऑफ़ एडल्टहुड ने श्रोताओं के दिलों को छू लिया और गहन संवाद को प्रेरित किया।

‘द आर्ट ऑफ़ एडल्टहुड’ पुस्तक का लोकार्पण आत्म-खोज और विकास का उत्सव बना

पुस्तक पर अपने विचार साझा करते हुए मनीष वर्मा (आईएएस) ने कहा, एडल्टहुड कोई मंज़िल नहीं, बल्कि एक सतत यात्रा है। यह पुस्तक पाठकों को आत्मविश्वास, संकल्प और आत्म-जागरूकता के साथ इस यात्रा को सहज बनाने में सहायता करने का हमारा प्रयास है।

इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए अंकिता राज ने कहा, वयस्क जीवन एक कैनवास की तरह है—हम इसे अपने निर्णयों और अनुभवों से आकार देते हैं। इस पुस्तक के माध्यम से, हम पाठकों को रचनात्मकता और साहस के साथ अपनी यात्रा को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।

‘द आर्ट ऑफ़ एडल्टहुड’ पुस्तक का लोकार्पण आत्म-खोज और विकास का उत्सव बना

इस कार्यक्रम में एक जीवंत इंटरेक्टिव Q&A सत्र भी शामिल था, जहां प्रतिभागियों ने वयस्कता से जुड़ी वास्तविक चुनौतियों और पुस्तक की सीख को अपने जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है, इस पर चर्चा की। आयोजन को और भी विशेष बनाने के लिए एक अनूठी इंटरेक्टिव आर्ट इंस्टॉलेशन भी प्रस्तुत की गई, जो वयस्कता के निरंतर विकसित होते स्वरूप का प्रतीक थी।

राष्ट्रपति के भाषण पर Sonia Gandhi के कमेंट से मचा बवाल

अतिथि न केवल द आर्ट ऑफ़ एडल्टहुड की हस्ताक्षरित प्रतियां लेकर लौटे, बल्कि उन्होंने जीवन के बदलावों को खुले मन से अपनाने की एक नई सोच भी अपने साथ ले ली। यह सिर्फ़ एक पुस्तक लोकार्पण नहीं था, बल्कि यह एक सशक्त संदेश था कि वयस्कता, अपनी सभी जटिलताओं के साथ, एक कला है, जिसे आत्मसात करना चाहिए।

About Samar Saleel

Check Also

अयोध्या न्यास द्वारा आयोजित भंडारे में तीसरे दिन भी श्रद्धालुओं की रही भीड़

अयोध्या। श्री अयोध्या न्यास के तत्वाधान में पूर्व सांसद लल्लू सिंह द्वारा तीन दिवसीय भंडारे ...