लखनऊ। देश में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में ढाई लाख लोगों की मौत का कारण खराब हवा थी। वहीं 2015 में उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों की जहरीली आबोहवा के कारण 1 मिलीयन से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। प्रदूषण आज एक बड़ी समस्या बन गया है। प्रदूषण पर किस तरह से नियंत्रण पाकर उसे कम किया जा सकता है और कैसे हम अपने आस पास के वतावरण को स्वच्छ बना सकते है, इसपर सोमवार को लखनऊ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने गंगा के मैदानी इलाकों में बढ़ते प्रदूषण से निबटने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें सीड के डायरेक्टर अभिषेक प्रताप, लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया और रांची की मेयर आशा लकड़ा मौजूद थीं।अर्बन प्लानिंग बेहद जरूरी है लेकिन इसे बनाए रखने के लिए अपने आसपास के वातावरण को साफ सुथरा रखना जरूरी है। पत्रकारों से बातचीत में संयुक्ता भाटिया ने कहा कि आज प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ गया है।
चाइना से कचरा प्रबंधन की मशीन का उपयोग
लखनऊ की आबोहवा पहले से जहरीली हो गयी है और ऐसे में प्रदूषण के स्तर को कम कर हम कैसे कुछ उपयोगी कर सकते हैं ये बड़ी बात है। उन्होंने बताया कि चाइना से कचरा प्रबंधन की मशीन का उपयोग किया जाएगा। इसके तहत जो कचरा यहां से ले जाया जाएगा उस कचरे का प्रबंधन ठीक से हो सके इसके लिए उससे डीजल और गैस बनाने की बात की जा रही है। कचरा प्रबंधन में चाइना कंपनी ने 35 करोड़ रुपये लगाया है। साथ ही कहा कि अगर चाइना की टेक्नोलॉजी भारत में उपलब्ध होगी, तो इंडिया की चीजों को पहले प्रिफरेंस दी जाएगी। गड्ढा मु्क्त सड़कों के लिए 180 करोड़ का बजट बनाया गया है। मेयर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि राजधानी लखनऊ की सड़कोंं की खस्ता हालत बारिश की वजह से है। ऐसे में शहर की सड़कों को गड्ढा मु्क्त करने के लिए 180 करोड़ का बजट रखा गया है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की सरकार पहले ही केंद्र सरकार के साथ मिलकर वायु गणवत्ता को बेहतर करने के लिए काम कर रही है। शहर के लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकें इसके लिए जरूरी है कि बेहतर प्लानिंग के साथ काम किया जाए।
ई-रिक्शा के ज्यादा प्रयोग पर जोर
रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि रांची में कम से कम 35 तालाब हैं, जहां त्योहारों के दौरान निकलने वाले कूड़े को उसी तालाब में फेंका जाता है। दुर्गा पूजा हो या कोई भी त्योहार हो, मूर्ति विसर्जन और अन्य चीजों को उन्ही तालाब में फेंका जाता है, जिससे कि जगह-जगह कचरा न हो और प्रदूषण का स्तर न बढ़ें। उन्होंने बताया कि रांची में ई-रिक्शा के ज्यादा प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है। सरकार से इस पर अपील भी की गई है कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों को सीएनजी से चलाया जाए। कुल मिलाकर कहा जाए तो शहर को वह धीरे-धीरे भारत को ईको फ्रेंडली बनाना है। राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा के जरिये पानी को निकालने का प्रयास किया गया है। रांची में पिछले दो सालों से एयर क्वालिटी खराब है।सीड प्रोग्राम डायरेक्टर अभिषेक प्रताप ने कहा अंतर जातीय स्तर पर सितारों के बीच समुचित समनवय लाया गया है। लखनऊ और रांची में अर्बन एयर क्वालिटी को बेहतर करने के लिए भौगोलिक योजना और अंतर विभागीय स्तर पर एक कार्य कार्ययोजना की आवश्यकता है। बात अगर पार्टिकुलेट मैटर की करें, तो रांची का पीएम लेवल 45 है, पटना का 85.7 और लखनऊ का पीएम लेवल 83.5। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन से दिल्ली से आए मनजीत सिंह ने बताया कि ज्यादातर शहरों में प्रदूषण का क्या सोर्स है इस पर ध्यान देना जरूरी है। सड़कों पर प्रदूषण बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 538 बच्चों की मौत न्यूमोनिया से हुुई है। वहीं हर साल 7 मिलीयन लोगों की मौत एयर पाल्यूशन से होती है।
यूपी के शहरों में अनुमानित मौत
कानपुर – 4,173
लखनऊ – 4,127
आगरा – 2,421
मेरठ – 2,044
वारणसी – 1,581
इलाहाबाद – 1,443
गोरखपुर – 914