प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस सप्ताह के अंत तक चीन के वुहान शहर में होने वाले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं। India-China के बीच लंबित मुद्दों के समाधान और पारस्परिक विश्वास को बनाये रखने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत होगी। जिसमें सहमित पर पहुंचने की कोशिश की जायेगी। यह बात चीन के उप विदेश मंत्री कोंग जुआनयू ने कही हैं। नई दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि बैठक में मुद्दा आधारित चर्चा नहीं होगी, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर एक-दूसरे के नजरिए को समझने के लिए दोनों नेताओं के बीच एक रणनीतिक चर्चा होगी।
India-China, अपने आप में पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन
सूत्रों के अनुसार यह अनौपचारिक शिखर सम्मेलन भारत-चीन संबंधों को नए सिरे से स्थापित करने पर केंद्रित नहीं है। बीजिंग में चीन के उप विदेश मंत्री कोंग जुआनयू ने संवाददाताओं से कहा दोनों पक्ष किसी समझौते पर हस्ताक्षर न करने या कोई संयुक्त दस्तावेज जारी न करने के मामले में हैं। किंतु लंबित मुद्दों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने नेताओं के इस तरह के शिखर सम्मेलन करने का कारण बताते हुए कहा कि यह अनौपचारिक शिखर सम्मेलन अपने आप में इस तरह का पहला सम्मेलन है और दोनों देशों में इस तरह का कोई पूर्व उदाहरण नहीं है।
दोनों देशों के बीच मतभेदों के समाधान पर सहमति का प्रयास
कोंग ने कहा कि अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में दोनों नेता अति महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुले मन से चर्चा करेंगे और विश्वास कायम करने तथा लंबित मतभेदों के समाधान पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। कोंग ने कहा कि डोकलाम प्रकरण पर विश्वास की कमी को मुख्य वजह बताया। उन्होंने कहा दोनों देशों को सीमा मुद्दे के समाधान के लिए परिस्थितियां और विश्वास बनाने की जरूरत है।
राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी ने रिश्तों के लिए काफी मेहनत की
कोंग ने कहा कि राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी दोनों का रणनीतिक दृष्टिकोण और ऐतिहासिक दायित्व है. उन्होंने कहा दोनों नेताओं को देश के लोगों का व्यापक समर्थन हासिल है। दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों को बड़ा महत्व दिया है और इस संबंध को बढ़ाने के लिए काफी मेहनत की है। जिससे अब दोनों देशों के मध्य संबंधों के माध्यम से विश्वास बनाने की कोशिश की जाएगी।
भारत चीन सहयोग में नई संभावनाएं खुलेंगी
कोंग ने कहा कि विचारों का यह आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच पारस्परिक विश्वास को गहरा करेगा तथा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश तथा उद्देश्य तय करेगा। यह चीन-भारत सहयोग में नई संभावनाएं भी खोलेगा। इस तरह का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों और लोगों को फायदा पहुंचाएगा। इसके साथ क्षेत्र में इससे परे शांति एवं विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा चीनी पक्ष कुछ अद्वितीय प्रबंध करेगा। जिससे कुछ इंतजाम भारतीय पक्ष की उम्मीदों के परे होंगे।