सरकार की ‘जन-विरोधी’ नीतियों के विरूद्ध 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 8 जनवरी को होने जा रही देशव्यापी हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोग शामिल होंगे. इन ट्रेड यूनियनों सहित विभिन्न बैंकिंग संघों व फेडरेशनों ने पिछले वर्ष सितंबर में इस हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.
10 ट्रेड यूनियन से जुड़े 25 करोड़ लोग होंगे शामिल
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ
व यूटीयूसी ने सोमवार को संयुक्त बयान में
बोला कि देशव्यापी
हड़ताल में कम से कम 25 करोड़ लोगों की
सहभागिता की उम्मीद है
. सरकार से श्रमिक विरोधी, जन-विरोधी
व राष्ट्र-विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे
.
बयान में बोला गया है कि श्रम मंत्रालय ने 2 जनवरी, 2020 को मीटिंग बुलाई थी, लेकिन वह अब तक श्रमिकों की किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है. सरकार का यह रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है. इसके अलावा, बढ़ी फीस व एजुकेशन के व्यावसायीकरण के विरूद्ध 60 विद्यार्थी संगठन व कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारी भी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं.
ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा व अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में ऐसी घटनाओं की निंदा की है. उन्होंने जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं होने पर नाराजगी जताई. साथ ही श्रम कानूनों की संहिता बनाने व सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.
बैंकिंग सेवाओं पर पड़ेगा असर
बैंकिंग सेक्टर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आठ जनवरी को हड़ताल का निर्णय किया है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के एक नेता ने बताया कि इस हड़ताल का समर्थन 10 यूनियन कर रही हैं. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेकंटचलम के अनुसार सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए हड़ताल की जा रही है. हड़ताल में रोजगार के नए मौका पैदा करने, श्रम कानूनों में संशोधन पर रोक लगाने व जॉब की सुरक्षा संबंधी मांगें रखी जाएंगी. रिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने सालों से लंबित मांगों के पूरा न होने पर हड़ताल का समर्थन किया है. इस दिन बैंकिंग संबंधी सभी तरह के कामकाज ठप रहेंगे, जिससे लोगों को एटीएम में भी पैसा नहीं मिलेगा.
सब्जी से लेकर के सार्वजनिक परिवहन पर पड़ेगा असर
हड़ताल की वजह से लोगों को दूध, सब्जी, दवाएं आदि भी मिलने में कठिन हो सकती है. वहीं सार्वजनिक परिवहन जैसे कि टैक्सी, ऑटो, बस आदि की सेवाओं पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे सभी तरह के रेल, सड़क व हवाई यात्रियों को कठिनाई हो सकती है. इस दौरान व्यक्तिगत वाहनों से ही सफर किया जा सकता है.
आर्थिक मुद्दों पर केन्द्र को बदनाम करने की प्रयास : राजनाथ
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को बोला कि कई ताकतें आर्थिक मुद्दों पर केन्द्र सरकार को बदनाम करने की प्रयास कर रही हैं. लेकिन सरकार कारोबारियों के हितों को समझते हुए उसी दिशा में कार्य कर रही है. उन्होंने बोला कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती वैश्विक मंदी का भाग है. हिंदुस्तान के मुकाबले विकसित राष्ट्रों पर इसका ज्यादा असर पड़ा है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रोग्राम में राजनाथ ने कहा, ‘मैंने सीलिंग के मामले पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी से चर्चा की है. उन्होंने इस पर ध्यान देने का भरोसा दिलाया है.’ इससे पहले कैट ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर 10 लाख से अधिक कारोबारियों को सीलिंग की मार से बचाने के लिए कोई योजना लाने का आग्रह किया है.