नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने गुरुवार को श्रीलंका का दौरा किया और राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की। उन्होंने भारत की 60 लाख डॉलर की सहायता से बनाए गए समुद्री बचाव समन्वय केंद्र का संयुक्त रूप से अनावरण किया। इस दौरान जयशंकर ने दोहराया कि भारत अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत अपने सभी पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण और परस्पर लाभकारी संबंध विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अपने दूसरे कार्यकाल में पहली विदेश यात्रा पर श्रीलंका पहुंचे जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा नए कार्यकाल में पहली बार कोलंबो पहुंचा हूं। गर्मजोशी से स्वागत के लिए राज्य मंत्री थारका बालासुरिया और पूर्वी प्रांत के राज्यपाल एस. थोंडामन का शुक्रिया। शीर्ष नेतृत्व के साथ अपनी बैठकों का बेसब्री से इंतजार है। श्रीलंका, भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ और ‘सागर’ नीतियों का केंद्र है।
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विदेश मंत्री ने एक अन्य पोस्ट में लिखा श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) के वर्चुअल कमीशनिंग और भारत सरकार की आवास योजनाओं के तहत 154 घरों को वर्चुअल तरीके से सौंपने के अवसर का हिस्सा बना।
जयशंकर और राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने बिजली, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, बंदरगाह अवसंरचना, विमानन, डिजिटल, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और पर्यटन क्षेत्रों में सहयोग के लिए आगे के रास्ते पर चर्चा की। चर्चा के बाद विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों को निरंतर मजबूत करने के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
इसके बाद जयशंकर ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से मुलाकात की और विकास एवं कनेक्टिविटी पहलों के माध्यम से भारत के मजबूत समर्थन को दोहराया।
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति की पुष्टि करते हुए, यह यात्रा श्रीलंका के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, क्योंकि यह उसका सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी और समय की कसौटी पर खरा उतरा दोस्त है। यह यात्रा संपर्क परियोजनाओं और विभिन्न क्षेत्रों में अन्य पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को गति प्रदान करेगी।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी