लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने केन्द्र सरकार और रेल मंत्रालय की कार्यशैली पर आश्चर्य व्यक्त करते हुये कहा है कि सम्पूर्ण देश वैश्विक महामारी कोविड-19 के फलस्वरूप आर्थिक दृष्टि से कमजोर हुआ है। देश के 90 प्रतिशत लोगों की आय आधी भी नहीं रह गयी है और उसमें से भी लगभग एक तिहाई लोग 2 जून की रोटी जुटाने में परेशान है। इन परिस्थितियों में रेल मंत्रालय रेल भाडे़ में यूजर चार्ज के नाम पर दस रूपये से लेकर 35 रूपये प्रति यात्री के हिसाब से बढोत्तरी करने जा रही है, जबकि देश के लगभग 95 प्रतिशत लोग रेल मार्ग से ही यात्रा करते हैं।
डाॅ. अहमद ने कहा कि जनता की आर्थिक बोझ से टूटती हुयी कमर को इसे केन्द्र सरकार के धक्के के रूप में देखना ज्यादा उचित होगा। देश के प्रधानमंत्री देश के भारी भरकम रेल मंत्रालय के अधिकांश हिस्से को कार्पोरेट घरानों के आधिपत्य में देने की तैयारी पहले ही कर चुके हैं और इस प्रकार यूजर चार्ज के नाम पर रेल भाडे मेें बढोत्तरी भविष्य में इन्हीं कार्पोरेट घरानों को अधिक लाभ पहुंचाने की एक साजिश मात्र है।
सैकड़ों ट्रेने और हजारों स्टेशन पूंजीपतियों को बेचे जा रहे हैं और सारी प्रक्रिया गुपचुप माध्यम से सम्पन्न हो रही है। यही कारण है कि देश में चलने वाली लगभग 90 प्रतिशत ट्रेने यथा स्थान खड़ी हैं। सारी ट्रेने खड़ी रहने से रेल मंत्रालय की आर्थिक दशा दिन प्रतिदिन सोचनीय होती जा रही है और ऐसा लग रहा है कि निकट भविष्य में इसी आर्थिक स्थिति के बहाने रेलगाडि़यां और स्टेशन कार्पोरेट घरानों के हवाले किये जा रहे हैं।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार के इस प्रकार के फैसले जनता के प्रति असहनीय होने के साथ साथ निंदनीय भी हैं। इन डबल इंजन की सरकारों को पूंजीपतियों की सरकार कहा जाता है परन्तु बडे बडे औद्योगिक घरानों और चंद पूंजीपतियों के प्रति इतना अधिक प्रेम दिमागी दिवालियेपन का परिचायक है। कृषि सम्बन्धी तीनो कानून बनाकर प्रधानमंत्री जी ने देश के किसानों के प्रति बेरहमी का प्रदर्शन करके शायद संतुष्ट नहीं हुये होंगे यही कारण है कि रेल मंत्रालय के माध्यम से किसानों मजदूरों के साथ साथ आम जनता की कम कमाई में बंटवारे का कार्यक्रम बना लिया है।