Breaking News

International Mother Language Day : नवयुग कन्या महाविद्यालय में Webinar का आयोजन

लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) के अवसर पर नवयुग कन्या महाविद्यालय (Navyug Kanya Mahavidyalaya) राजेन्द्र नगर में एक वेबिनार (Webinar) का आयोजन किया गया। वेबिनार का विषय था ‘भारतीय भाषाओं का संवर्धन और मातृभाषा’। वेबिनार (Webinar) में वक्ताओं ने मातृभाषा के संस्कार (sanskar) और विरासत ( heritage) के बारे में बताया। वक्ताओं का कहना है कि मातृभाषा में लोकगीत लोक संस्कार देती है। मातृभाषा के माध्यम से भावों के साथ संवेदनाओं की भी अभिव्यक्ति की जा सकती है।

43वें बैडमिंटन टूर्नामेंट में इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड कर रहा मेजबानी

वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता अपने विचार रखते हुए मनोज भावुक ने कहा कि जब तक हम अपनी बोली और भाषा को दिल से नहीं अपनाएंगे तब तक हमारे आंगन की तुलसी का पौधा सूखा ही रह जाएगा। हमें अपनी युवा पीढ़ी को मातृभाषा से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक मातृभाषा बोलेंगे नहीं, लिखेंगे नहीं तब तक जुड़ाव नहीं होगा।

दिल्ली विधानसभा का सत्र 24 से, CAG Report से बढ़ें सकती हैं केजरीवाल की मुसीबतें!

आज अधिकांश युवा अंग्रेजी बोलने में अपनी ऊर्जा और धन खर्च कर रहे हैं जबकि अन्य समृद्ध देश अपनी मातृभाषा में ही कार्य कर रहे हैं। मनोज भावुक ने कहा कि मातृभाषा हमें संस्कार, धरोहर और विरासत देती है। मातृभाषा में लोकगीत, लोक-संस्कृति लोक संस्कार देती है।

वेबिनार में बतौर विशिष्ट वक्ता प्रो प्रणव मिश्रा न कहा कि सभी भाषाएं जनभाषा हैं। जनभाषा बनने के लिए उसका जनता के हृदय से जुड़ाव होना चाहिए। जब तक हर भारतीय अपनी भाषा का प्रयोग नहीं करेगा, तब तक वह विदेशी भाषा का मोहताज रहेगा। भारत में आज हिंदी के विविध स्वरुप दिख रहे हैं।

प्रो प्रणव मिश्रा न कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार 1369 भाषाएं हैं। 121भाषा बोलने वालों की संख्या 10हजार है। 96प्रतिशत आबादी इन भाषाओं का प्रतिनिधित्व करती है।आज बहुत सी भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं। जब किसी भाषा के समुदाय के वरिष्ठ व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो वह भाषा समाप्त हो जाती है।

महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि अपनी मातृभाषा में पढ़ाई की जाय। सभी भाषाएं समृद्ध है। वर्तमान समय में अनुवाद के द्वारा भी बहुत सी भाषाओं को पढ़ने का अवसर मिलता है। अगर हम विकसित भारत 2047की बात कर सकते हैं तो हमें अपनी संस्कृति और भाषाओं को भी मजबूत करना होगा।

वेबिनार का प्रारंभ करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष की अंकिता पांडे ने कहा कि 21फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का प्रारंभ 1999 मे यूनेस्को द्वारा किया गया था। भारत में सन् 2000से प्रारंभ हुआ । जिसका उद्देश्य हिंदी के साथ मातृभाषाओं का संवर्धन और संरक्षण किया जाना है।

इसी तरह वेबिनार में प्रो मंजुला यादव, प्रो अमिता रानी सिंह, डा अपूर्वा अवस्थी और डा मेघना यादव ने भी अपने विचार रखे अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो मंजुला यादव ने दिया। इस अवसर पर महाविद्यालय की सभी छात्राएं और प्रवक्ताएं उपस्थित रहीं।

About reporter

Check Also

यूपी बीएड जेईई परीक्षा कल; अभ्यर्थी अच्छे से समझ लें गाइडलाइन, केंद्र पर करना होगा पालन

यूपी बीएड जेईई परीक्षा कल आयोजित की जाएगी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, यह परीक्षा देश ...