खराब खान-पान और बिगड़ती जीवनशैली की वजह से होने वाली बवासीर एक खतरनाक बीमारी है। यह रोग मुख्यतः दो प्रकार का होता है एक खूनी बवासीर और दूसरा बादी बवासीर। पहले यह बीमारी बुजुर्गों या गर्भवती महिलाओं को होती थी लेकिन अब युवा और बच्चे भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि बवासीर का सही समय और सही इलाज नहीं कराने से यह कैंसर का कारण का बन सकती है।
बादी बवासीर में रोगी के गुदा के आस-पास एक या उससे अधिक मस्से होने लगते हैं। इन मस्सों में खुजली, जलन और दर्द हो सकता है जबकि खूनी बवासीर में मस्से गुदे के अंदर होते हैं और मल त्याग के समय जोर लगाने पर दर्द के साथ खून आने लगता है।
बवासीर के लक्षणों में कई दिनों तक कब्ज रहना, अपच की समस्या होना, मल त्याग की बार-बार इच्छा होना, गुदा पर ज्यादा पसीना आना, मलाशय में कुछ अटकने का अहसास होना, मलाशय के पास गांठ या काले रंग के मस्से होना, मलाशय में दर्द और जलन होना, मल त्याग के समय मस्सों का बाहर आना, मल में खून आना, गुदा में खुजली होना, मल से बदबू आना आदि शामिल हैं।
1) फाइबर
बेहतर पाचन क्रिया के लिए फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन बहुत जरूरी होता है। इसलिए अपने आहार में फाइबर युक्त आहार जैसे- साबुत अनाज, ताजे फल और हरी सब्जियों को शामिल करें। साथ ही फलों के रस की जगह फल खाएं।
2) छाछ
बवासीर के मस्सों को दूर करने के लिए छाछ यानी मट्ठा बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके लिए करीब 2 लीटर छाछ लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और स्वादानुसार नमक मिला दें। प्यास लगने पर पानी के स्थान पर इसे पिए। कुछ दिनों तक ऐसा करने से मस्से ठीक हो सकते हैं। इसके अलावा प्रतिदिन दही खाने से बवासीर की संभावना बहुत कम हो जाती है और बवासीर होने पर भी लाभ होता है।
3) त्रिफला चूर्ण
नियमित त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो सकती है। जिससे बवासीर से राहत मिलती है। इसके लिए रात को सोने से पहले एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है।
4) जीरा
जीरा पेट की समस्याओं के लिए रामबाण की तरह फायदेमंद होता है। जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से लाभ होता है या आधा चम्मच जीरा पाउडर को एक गिलास पानी में डालकर पियें। इसके साथ जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से भी लाभ हो सकता है।