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नागरिकता संशोधन अधिनियम की आड़ में एनआरसी थोपने का सरकारी प्रयास बर्दास्त नहीं: डाॅ.मसूद

लखनऊ। नागरिकता संशोधन अधिनियम ने देश में विभिन्न भाषाई व आदिवासी समूहों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में अविश्वास का माहौल पैदा किया है। नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद असम, त्रिपुरा व समूचे पूर्वोत्तर भारत सहित दिल्ली, अलीगढ़, लखनऊ, सहारनपुर सहित पूरे उ.प्र. में अधिनियम विरोधी आन्दोलनकारियों पर लोकतांत्रिक मर्यादा लांघकर सरकार ने जिस तरह निरकुंशता के साथ दबाने का प्रयास किया वह घोर निंदनीय है।

यह बात राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व शिक्षा मंत्री डाॅ. मसूद अहमद ने कहते हुये कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने संविधान पर हमला करने के बाद सरकार व संघ प्रायोजित हिंसा का आरोप आन्दोलनकारियों पर लगाना भाजपा सरकार की बदनियती व लोकतांत्रिक अहिंसक आन्दोलन को कुचलने वाला आरोप है। वह देश में धार्मिक धुव्रीकरण का राजनीतिक लाभ लेने का आरएसएस द्वारा रचित षड़यंत्र है।

डाॅ. अहमद ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम की आड़ में एनआरसी थोपने का सरकारी प्रयास किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है। विश्व में भारत की छवि को खराब करने की पूरी जिम्मेंदारी आरएसएस भाजपा व केन्द्र सरकार पर है। उन्होंने जामियां विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व दारूल उलूम, नदवा सहित अन्य स्थानों के आन्दोलन में गिरफ्तार छात्रों व नागरिकों पर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लेने व हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है।

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