श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ( Janmashtami ) का त्यौहार इस बार 2 सितंबर 2018 को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ का पर्व बहुत खास महत्व रखता है। इस त्यौहार को भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Janmashtami : खास चीजों का रखें ध्यान
इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम को 7 बजकर 20 मिनट पर खत्म हो जायेगी। ऐसे में इस त्यौहार को मनाने के लिए खास चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। श्री कृष्ण की मूर्ति चुनते वक्त कुछ खास चीजों को ध्यान में रखना जरूरी है। जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरुप को चाहें स्थापित कर सकते हैं।
प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए, संतान प्राप्ति के लिए, राधा कृष्ण की और बाल कृष्ण की और अन्य मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए बंशी वाले कृष्ण की स्थापना करना फलदाई होगा।
श्री कृष्ण का श्रृंगार ऐसे करें
श्रृंगार के लिए फूलों का प्रयोग करें। पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से बाल कृष्ण का श्रृंगार करें। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
काले रंग का प्रयोग करना वर्जित है।
जन्माष्टमी के दिन पंचामृत जरूर अर्पित करें, उसमें तुलसी दल भी जरूर डालें। साथ ही मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगायें।
जन्माष्टमी के दिन तुलसी दल डाल, पंचामृत जरूर अर्पित करें। साथ ही मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगायें।
मध्यरात्रि को भगवान् कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखे। फिर उस प्रतिमा को पहले दूध से, फिर दही से, फिर शहद से, और फिर शर्करा से और अंत में घी से स्नान कराए। इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं, इसके बाद जल से स्नान कराएँ।
जन्माष्टमी के दिन निशिता रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक पूजा का समय रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।