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केरल के राज्यपाल ने बताया भारतीय संस्कृति का महत्व

लखनऊ। महामना मालवीय मिशन द्वारा 162वीं मालवीय जयन्ती का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान थे. मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभु नारायण श्रीवास्तव ने आरिफ मोहम्मद का स्वागत किया. उन्होंने अपना संस्मरण सुनाया. एक बार वह आरिफ मोहम्मद के आवास पर गए थी. उनकी लाइब्रेरी देख कर अचंभित रह गए. उसमें वेद पुराण उपनिषद सहित संस्कृत के सभी प्रमुख ग्रंथ थे. इसके साथ ही अरबी इंग्लिश का भी वांग्मय था।

केरल के राज्यपाल ने बताया भारतीय संस्कृति का महत्व

आरिफ मोहम्मद बोलने खड़े हुए तो प्रभु नारायण श्रीवास्तव का कथन सत्या प्रमाणित होने लगा. आरिफ मोहम्मद ने वेद पुराण उपनिषदों का उद्धरण देते हुए भारतीय संस्कृति की महत्ता का प्रतिपादन किया. कहा कि यह भारत है जिसने ज्ञान और उसके प्रसार का मानवीय चिंतन दुनिया को दिया. उन्होंने कहा कि सूर्य सिद्धांत यूरोपीय पुनर्जागरण का आधार है.

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नौवीं शताब्दी में भारतीय सूर्य सिद्धांत ग्रंथ को लेकर भारतीय मनीषी अरब गए थे. बगदाद के सुल्तान ने उसका अनुवाद कराया. इसके बाद य़ह ग्रंथ स्पेन के राजा ने मंगवाया. उसका अनुवाद वहां हुआ. युरोपीय पुनर्जागरण इसी भारतीय सिद्धांत पर आधारित है.

केरल के राज्यपाल ने बताया भारतीय संस्कृति का महत्व

उपनिषद कह्ते हैं ज्ञान प्राप्त करो फिर उसको साझा करो. कपिल मुनि ने ज्ञान प्राप्त किया. फिर उसे अपनी माँ को सुनाया. यह प्रसार की ही ललक थी. भारतीय चिंतन में सेवा सहायता पूजा की भांति है. इसमें भेदभाव नहीं है. इस भारतीय विरासत पर अमल तय हो जाए तो सभी कार्य अपने आप होते चलेंगे. भारतीय ज्ञान का सारांश गीता में हैं. भारत मे ज्ञान की पूजा हुई.

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इस मार्ग से भटके तभी भारत परतंत्र हुआ. ज्ञान का प्रसार बंद कर दिया. इसलिए गुलाम हुए. जो ज्ञान को साझा नहीं करता वह सरस्वती का उपासक नहीं खलनायक होता है. महामना मालवीय ने इसी चेतना का जागरण किया. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इसका एक निमित्त या पड़ाव मात्र है. नरेंद्र मोदी भी भारतीय संस्कृति का जागरण कर रहे हैं. ज्ञान की तरह पवित्र करने वाला कुछ नहीं है.

ब्रह्मचारी वह है जो विद्यार्थि है.जिसमें जिज्ञासा है. विज्ञान का महत्व है. विज्ञान प्रकृति पर नियन्त्रण का प्रयास करता है. ज्ञान ब्रह्म की ओर ले जाता है.भारत आगे बढ़ रहा है. लेकिन कोई यह नहीं कहता कि भारत खतरा है. क्योंकि भारत की यह संस्कृति नहीं है. एकता का आधार आत्मा है. मनुष्य ही नहीं जीव जन्तु सभी में आत्मा है. इसलिए भेदभाव नहीं होना चहिये.

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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