भारतीय कुश्ती संघ एक बार फिर तदर्थ समिति के हवाले होने जा रहा है। खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ से भारतीय कुश्ती संघ का कामकाज देखने के लिए एक तदर्थ समिति बनाने को कहा है। इसी साल मई के महीने में कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को संघ के कामकाज से दूर रहने के लिए कहा गया था। ऐसे में तीन सदस्यीय तदर्थ समिति ही संघ का कामकाज देख रही थी। इसी समिति ने कुश्ती संघ के चुनाव कराए और 21 दिसंबर के दिन संजय सिंह को नया अध्यक्ष चुना गया।
संजय सिंह का जमकर विरोध हुआ और उन्होंने कुछ मनमाने फैसले किए। इस वजह से खेल मंत्रालय ने पूरे कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया है। इसके बाद खबरें आ रही हैं कि अब फिर से तदर्थ समिति ही संघ का कामकाज देखेगी। न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के अनुसार केंद्रीय खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से भारतीय कुश्ती संघ के मामलों के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए एक तदर्थ समिति बनाने को कहा है।
इसी साल अप्रैल के महीने में ओलंपिक समिति ने एक तदर्थ समिति का गठन किया था। इसमें भारतीय वुशू संघ के अध्यक्ष बुपेंदर सिंह बाजवा और राइफल कोच सुमा शिरूर के अलावा हाई कोर्ट के एक रिटायर जज भी शामिल थे।
- कुश्ती संघ विवाद में अब तक क्या हुआ?
- जनवरी 2023 में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए और अगले कुछ महीनों में बृजभूषण को कुश्ती संघ से दूरी बनानी पड़ी।
- बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से पहलवान 40 दिन तक धरने पर बैठे, जांच की बात और उनके खिलाफ एफआईआर होने पर धरना खत्म किया।
- तदर्थ समिति कुश्ती संघ का कामकाज देखती रही और 21 दिसंबर को कुश्ती संघ के चुनाव हुए। चुनाव में बृजभूषण के करीबी संजय सिंह अध्यक्ष बने।
- संजय सिंह के अध्यक्ष बनते ही विरोध शुरू हुआ, साक्षी ने कुश्ती छोड़ी और बजरंग ने पद्म श्री लौटाया।
- खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को निलंबित किया। पहलवान इस फैसले से खुश, बजरंग ने पद्म श्री स्वीकार करने की बात कही।
- अब तदर्थ समिति कुश्ती संघ का कामकाज देखेगी, नए सिरे से चुनाव होने की उम्मीद।