पति को सियासी संकट में फंसा देख कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह की पत्नी केतकी ने चार बार के सांसद रहे राजा आनंद सिंह के सामने मोर्चेबंदी कर दी। डगमगाती राजनीति की नैया की पतवार संभाल सियासत के बाजीगर कहे जाने वाले राजा को मात देकर परिवार की राजनीतिक साख बचा ली।
लोकसभा चुनाव के शंखनाद के बाद चर्चा में कैसरगंज लोकसभा सीट है, जिस पर किसी भी दल ने अभी तक पत्ते नहीं खोले। हर जुबां पर एक ही सवाल है कि क्या सत्ताधारी पार्टी सांसद बृजभूषण या उनके परिवार को टिकट देगी या किसी नए चेहरे पर दांव होगा। ठीक इसी प्रकार सियासी असमंजस साल 1996 में था।
गोंडा लोकसभा क्षेत्र से मनकापुर राजघराने का तिलिस्म तोड़ने वाले श्रीराम मंदिर आंदोलन से निकले युवा नेता बृजभूषण शरण सिंह संगीन आरोप में जेल में थे। भाजपा के पास दूसरा कोई ऐसा चेहरा नजर नहीं आ रहा था जो राजा आनंद सिंह को चुनौती दे सके। उस वक्त पति को संकट में देख केतकी चारदीवारी से निकलकर राजनीति के धुरंधर आनंद सिंह को करीब 67 हजार वोटों से शिकस्त दे दी।
पहली बार राजनीति में केतकी की एंट्री
वर्ष 1991 में पहली बार गोंडा लोकसभा सीट पर कमल खिला था। बृजभूषण शरण सिंह ने करीब दो दशक से सत्तासीन आनंद सिंह को एक लाख से अधिक मतों से हराकर राजघराने का तिलिस्म तोड़ा था। लेकिन, साल 1996 के लोकसभा चुनाव से पहले बृजभूषण पर संकट के बादल मंडराने लगे और उन्हें ”टाडा” के तहत जेल में जाना पड़ा। तब केतकी सिंह की सियासत में पहली एंट्री हुई।