देश के सबसे पुराने केस में से एक अयोध्या विवाद पर शनिवार को फैसला आ गया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है। अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन दी गई है। साथ ही मुस्लिम पक्ष को अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया गया है। आइए आपको बताते है अयोध्या केस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले 5 जजों के बारे में…
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई
18 नवंबर 1954 को जन्मे देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 1978 में बार काउंसिल में शामिल हुए थे और गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।28 फरवरी 2001 को वह गुवाहाटी हाईकोर्ट में में जज बने। साल 2010 में उनको पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया। 12 फरवरी 2011 को उनको पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। साल 2012 में उनको सुप्रीम कोर्ट में जज की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद साल 2018 में वह देश के प्रधान न्यायाधीश बने।
जस्टिस एसए बोबडे
साल 1956 में जन्मे एसए बोबडे ने बीए एलएबी की डिग्री नागपुर से हासिल की है. 1978 में वह बार काउंसिल के सदस्य बने और बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस करने लगे। साल 2010 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज बनाया गया। साल 2012 मे वह मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। साल 2013 में उनको सुप्रीम कोर्ट में जज बने. वह 23 अप्रैल 2021 को रिटायर हो जाएंगे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने वाले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने। उन्होंने एलएलएम की डिग्री हॉवर्ड लॉ स्कूल से ली है। सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश और उससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। वह साल 1999 में भारत के एसएजी भी रहे हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय और ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी, हावर्ड लॉ स्कूल में लेक्चर दे चुके हैं। वहीं युनाइेट नेशन्स की मानवाधिकार उच्चायोग सहित कई अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भाषण दे चुके हैं।
जस्टिस अशोक भूषण
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जन्म 5 जुलाई 1956 को जन्मे जस्टिस अशोक भूषण ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की डिग्री ली है। 1979 में वह बार काउंसिल के सदस्य बने और इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। साल 2001 में उनको इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया। साल 2014 को उनकी नियुक्ति केरल हाईकोर्ट के जज के रूप में हुई। फिर साल 2015 में उनको केरल हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। साल 13 मई 2016 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
जस्टिस एसए नजीर
साल 1958 में जन्मे एसए नजीर कर्नाटक हाईकोर्ट में 1983 को वकील के रूप में सेवाएं शुरू कीं। साल 2003 में उनको कर्नाटक हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। साल 2004 में वह परमानेंट जज बने। साल 2017 को सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति जज के रूप में हुई।