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जानिए क्या है योगी सरकार का एक और अहम कदम

ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने दीक्षा (डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग) पोर्टल हर रोज एक करोड़ शिक्षण सामग्री जारी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूलों के 1.8 करोड़ प्रतिनिधि स्कूलों के दो करोड़ विद्यार्थियों को जोड़ने का लक्ष्य है।

लेकिन एनुअल स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट एजुकेशन रिपोर्ट नामक गैर सरकारी संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार आज के दौर में सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों के अधिकतर बच्चों के पास ऑनलाइन जुड़ने का कोई साधन नहीं है। शिक्षा नीति को तेजी से अमल में लाने के लिए 01 से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए स्मार्टफोन, लैपटॉप या टेलीविजन उपलब्ध कराने के लिए सरकार को बजट में खास प्रावधान करना चाहिए। सभी जानते हैं कि इस कोरोना महामारी ने आमजन की कमाई और बच्चो की पढ़ाई को ही सबसे बड़ी चोट दी है।

क्लासरूम पढ़ाई बंद होने पर वैकल्पिक तौर पर ऑनलाइन पढ़ाई चालू की गई, लेकिन इसका दायरा शहरों तक ही सिमटा रहा। ग्रामीण क्षेत्रो में यह आज भी दूर की कौड़ी ही साबित हुई है। सारे जतन कर के भी बेसिक शिक्षा परिषद के बमुश्किल 40 फ़ीसदी बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ सकें। बाकी 60 फीसदी बच्चे इसलिए नहीं जुड़ सके क्योंकि इंटरनेट व्यवस्था ही नहीं थी, कहीं हुई भी तो इसकी चाल इतनी धीमी रही की ऑनलाइन क्लास चल ही नहीं पाई।

कुछ अभिभावकों के पास एंड्रॉयड/ स्मार्टफोन भी नहीं थे। फिर भी अब तो यही तय हो चुका है कि कि कोरोना खत्म होने के बाद भी ऑनलाइन पढ़ाई चलेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसे अनिवार्य अंग बनाया गया है। उच्च शिक्षा विभाग तो पहले सत्र से 20% और अनिवार्य रूप से ऑनलाइन ही पढ़ने की तैयारी में जुट चुका है। जाहिर है इस पढ़ाई की असल परीक्षा गांव में ही होगी। इंटरनेट की चुनौतियों से निपटने के लिए योगी सरकार ने अगले 05 महीने में यानी मार्च 2021 तक यूपी के 620 ब्लॉक कि 45000 ग्राम पंचायतें हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा से लैस हो जाएंगी।

इससे विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और इंजीनियरिंग कॉलेजों में खोली गई लाइब्रेली की सुविधा का लाभ ग्रामीण विद्यार्थी भी उठा सकेंगे। यही नहीं इससे बेसिक और माध्यमिक शिक्षा के आकांक्षी करोड़ों बच्चे भी लाभान्वित होंगे। यह वही बच्चे होंगे, जिनके अभिभावक ना तो शहरी पढ़ाई का खर्च उठा सकते हैं और ना ही इनका इंतेजाम करने में सक्षम है।

वैसे भी कोरोना संकट के दौरान बच्चों ने अद्भुत संयम दिखाया है। अपने घर की देरी को लक्ष्मणरेखा मानकर संक्रमण रोकने में भरपूर मदद की, अब योगी सरकार भी गांव-गांव हाई स्पीड इंटरनेट पहुंचा कर इनकी ऑनलाइन पढ़ाई की निर्बाध व्यवस्था में जुटी हुई है। ताकि एक भी बच्चा शिक्षा के उजाले से वंचित न रहने पाए। जो कि आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।

शाश्वत तिवारी
शाश्वत तिवारी

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