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मिर्च कानों से धुंआ ही निकालती है या न्यूट्रीशन भी देती है, जानिए

माथे से पसीना टपक रहा है, चेहरा एकदम लाल और धड़कन बढ़ी हुई। फिर भी हम गोलगप्पे वाले से कहते हैं, “भईया थोड़ा और तीखा करना।” भले कानों से धुआं निकल आए, लेकिन मिर्च में कमी नहीं आनी चाहिए। कई गोलगप्पे वाले तो तीखा, ज्यादा तीखा और भयंकर तीखा पानी रखते हैं। हम पसीने-पसीने होकर, सिसियाते हुए भी गोलगप्पों का मजा लेते हैं।

आपने कभी सोचा है कि इन सब चीजों के बावजूद तीखा खाने का मन क्यों होता है। दरअसल तीखा खाने के बाद हमारे शरीर में एंडोरफिन नाम का एक हॉर्मोन रिलीज होता है, जो हमें एक अच्छा सा एहसास कराता है।

तीखे के ऐसे शौकीनों के लिए एक खुशखबरी है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने हाल ही में दुनिया की सबसे तीखी मिर्च का खिताब ‘पेपर एक्स’ को दिया है। ये मिर्च 2,693,000 स्कोविल हीट यूनिट तीखी है। तुलना के लिए बता दें कि कश्मीरी मिर्च 1000-2000 स्कोविल हीट यूनिट तीखी होती है।

इसके अलावा भारत की एक और खास तरह की मिर्च भूत झोलकिया, जो दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों की लिस्ट में शामिल है, यह भी सिर्फ 1,001,000 स्कोविल हीट यूनिट तीखी होती है। अब आप खुद ही कल्पना कर लीजिए कि दुनिया की ये सबसे तीखी मिर्च कितनी तीखी होगी।

मिर्च के स्वाद के शौकीन तो हम सब हैं, लेकिन क्या मिर्च के कोई हेल्थ बेनीफिट भी हैं? और क्या ज्यादा मिर्च खाना सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। आइए इन्हीं सब सवालों के जवाब खोजने की कोशिश इस आर्टिकल में करते हैं।

कैसे तय होता है, कौन सी मिर्च है कितनी तीखी
मिर्च कितनी तीखी है, इसका पता लगाने के लिए अमेरिकी फार्मासिस्ट स्कोविल ने एक फॉर्मूला दिया है। इसमें मिर्च को तीखापन देने वाले केमिकल कैपसिनॉइड को चीनी के पानी में डाइल्यूट किया जाता है।

जितने ज्यादा पानी में मिर्च का तीखापन खत्म होता है, उसे उतना ज्यादा नंबर दिया जाता है। इसे स्कोविल हीट यूनिट(SHU) कहते हैं। यह नंबर जितना ज्यादा होगा, मिर्च उतनी तीखी मानी जाएगी।

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