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जाने क्यों सरल केयर फाउंडेशन ने छेड़ी ऑनलाइन मुहिम, क्या थी मुख्य वजह

कोरोना संकट के समय मे सामाजिक संस्थाओं ने अलग अलग सेवा कार्य करने शुरू किए। इसी दौरान सरल केयर फाउंडेशन ने ऑन लाइन एक्टिविटी की शुरुआत की। इसके पीछे क्या वजह थी इस बारे में सरल केयर फाउंडेशन की प्रेसिडेंट रीता सिंह से बातचीत हुई। जिंसमे उन्होंने सरल केयर फाउंडेशन की योजना की विस्तार से जानकारी दी।

अलग शुरुआत की इसकी वजह : सरल केयर फाउंडेशन का काम समाजिक जागरूकता पर काम करना था। इसलिए हमने इसको चुना। हमारी यह सोच है कि जो काम करने में आप माहिर हो, वो काम ही करे। हर संस्था सड़क पर उतर कर काम करने लगेगी तो सड़क पर बेवजह भीड़ बढ़ जाएगी। कोरोना के संकट से निपटने के लिए भीड़ नही बढ़ानी थी।इसलिए हमने ऑनलाइन जागरूकता के इस काम को शुरू किया। देखने में यह काम दूसरे कामो के मुकाबले उतना इमोशनल नही दिखता पर यह महत्वपूर्ण कार्य है। पूरी दुनिया मे लॉक डाउन इसलिए किया कि हम कोरोना को हरा सकेें, अगर हम सब सड़क पर ही उतर आएंगे तो लॉक डाउन का क्या लाभ?

ऑन लाइन एक्टिविटी की जरूरत: कोरोना वायरस को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य “सोशल डिस्टेंसिंग” है। इसलिए पूरी दुनिया ने अपने बन्द कर भारी नुकसान को मंजूर किया। सामान्य जीवन जीने वाले को घर मे रहना पड़े उसका पूरा सोशल नेटवर्किंग खत्म हो जाये ऐसे में घर मे डिप्रेशन में आ सकता है। परिवार में तनाव फैल सकता है ऐसे में ऑन लाइन एक्टिविटी की बहुत जरूरत है। घर मे रहते हुए जितना लोग व्यस्त रहेंगे उतना ही अच्छा रहेगा। लॉक डाउन के दौरान घरेलू झगड़े और तनाव बढ़ा भी है इसके आंकड़े बताते है। ऐसे में लोगो को तनाव से दूर रखना भी बड़ी जिम्मेदारी वाला काम है।

कैसे हुई ऑन लाइन एक्टिविटी की शुरुआत : 22 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने “जनता कर्फ्यू” का आह्वान किया उसी दिन से हमने अपनी संस्था के प्रमुख लोगो के साथ इस कार्य को अंजाम दिया। पहले ही दिन “फेमली फ़ोटो” थींम रखा। जनता कर्फ्यू के दिन लोगो को जानकारी नही थी कि लोक डाउन होगा। ऐसे में तनाव कम था। पर जब प्रधानमंत्री ने 21 दिन के लोक डाउन की घोषणा की तब तनाव अधिक होने लगा। इससे बचने के लिए हमने हर दिन नई एक्टिविटी का प्लान किया।

 

कितने दिन और कितनी एक्टिविटी कर चुके आप : ‘जनता दर्शन” से शुरू हो कर 11 अप्रैल 2020 को 21 दिन पूरे हो चुके है। इस दौरान 21 तरह की अलग अलग एक्टिविटी हो चुकी है। ‘फेमली फोटो’, “अपनी कविता अपने स्वर”, “कोरोना के खिलाफ जागरुकता पेंटिग”, “स्माइल सेल्फी”, “कोरोना से बचाव में लेखन”, “कोरोना के खिलाफ स्लोगन राइटिंग”, “मास्क लगाओ, कोरोना भगाव”, “फिटनेस चैलेंज”, “साबुन का झाग कोरोना को देगा मात”, “जंहा ना मिले साबुन सेनेटाइजर करे काम”, “नवरात्रि स्पेशल फोटो विद माता दुर्गा”, “समाचार पत्र को पढ़ना”, ” वीडियो सन्देश -‘कोरोना को भगाना है हमने मन मे ठाना है”, ” फोटो विद माय फेवरेट बुक”, ” फोटो माय हॉबी”, “फोटो माय बेस्ट फ्रेंड”, “फोटो विद फेवरेट फ़िल्म स्टार”, “मेरा टैटू मेरी शान”, “मी एंड माय वाच” और “मै आज और 10 साल पहले” इस दौरान की एक्टिविटी हुई।

इसका लोगो पर क्या प्रभाव पड़ा : शुरुआत में लोग इसको लेकर गंभीर नहीं थे, पर जैसे जैसे यह मुहिम आगे बढ़ी लोगो जुड़ते गए और कारवाँ बढ़ता गया।

किस तरह की थींम चुनते हैं : सबसे पहले घर परिवार को साथ रखना जरूरी था इसके बाद कोरोना के प्रति जगरूकता और मनोरंजन इन बातों को लेकर थींम बनती है। मुख्य आकर्षण फोटो का प्रमुख होता है जिसको सोशल मीडिया पर प्रचारित भी किया जा सके।

वाट्सएप ग्रुप की एक छोटी सी संख्या : पहले वट्सअप ग्रुप के जरिये जुड़े लोगों के साथ एक्टिविटी होती हैं इसके बाद उसको फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, यूट्यूब और डिजिटल मीडिया के जरिये लोगो तक पहुँचते है। अगर 100 लोगो ने एक एक्टिविटी में हिस्सा लिए और वो अपनो फेसबुक वॉल पर इसको पोस्ट करते है तो एक आदमी की फेसबुक वॉल पर करीब 3 से 5 हजार लोग देख लेते है। 100 लोगो के जरिये 30 से 40 हाजर लोग रोज इसको देख रहें। इसके अलावा सरल केयर फाउंडेशन के फेसबुक पेज और यूट्यूब के जरिये हजारों लोग देखते है। डिजिटल मीडिया का प्रसार तेजी से हुआ है। इसके जरिये भी बहुत सारे लोग इसको जानते और समझेते है।

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