कोलकाता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को अब माई लॉर्ड या लॉर्डशिप नहीं कहा जाएगा। खुद मुख्य न्यायाधीश ने ऐसा निर्देश जारी किया है। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने ईमेल के जरिए बाकी जजों और कोर्ट स्टाफ को यह जानकारी दी है। जिला न्यायालय और रजिस्ट्री स्टाफ अब चीफ जस्टिस को सर कहकर संबोधित करेंगे।
ईमेल में लिखा है कि चीफ जस्टिस ने खुद फैसला लिया है कि उन्हें माय लॉर्ड या लॉर्डशिप कहकर न पुकारा जाए, उन्हें सर कहा जाए। लिखा है, ‘चीफ जस्टिस की इच्छा है कि उन्हें जिला न्यायाधीश, रजिस्ट्री से संबंधित सदस्य और न्यायालयों से जुड़े सभी सदस्य अब सर कहें। वह नहीं चाहते हैं कि उन्हें माय लॉर्ड या लॉर्डशिप कहा जाए।
यह न्यायालय और प्रशासनिक स्तर पर लागू होगा।’ कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इन शब्दों का संबोधन ब्रिटिश राज में शुरू किया गया था। इन शब्दों को हटाया जाना ब्रिटिश राज खत्म होने का एक उदाहरण है।
न्यायालय के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, ‘2014 में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने भी इसी तरह कहा था। उन्होंने कहा था कि क्या लॉर्ड शिप और माय लॉर्ड कहना जरूरी है? आप हम लोगों को अन्य गरिमापूर्ण तरीके से संबोधित कर सकते हैं। यह एक सही दिशा में और अच्छी पहला है। इसे हर हाई कोर्ट में लागू होना चाहिए।’ अब हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर इस पर अमल करने की पहल शुरू कर दी है।