लखनऊ। सिद्धभूमि श्री रामलीला ऐशबाग जहाँ गोस्वामी तुलसीदास जी ने तपस्या की वहां इस वर्ष भी रावण दहन उसी उल्लास के साथ किया गया, जैसे प्रत्येक वर्ष किया जाता है। मौसम में परिवर्तन और परिस्थितियां विपरीत होने के बाद भी रामलीला मंचन और रावण दहन किया गया। समिति के अध्यक्ष हरीश चंद्र अग्रवाल ने बताया कि प्रभु राम के प्रति समस्त रामभक्तों कि जो श्रद्धा है उसी ने हमे इतना साहस दिया कि इतनी भारी वर्षा के बाद भी हम अपनी विजयादशमी को पहले कि भांति हम आयोजित कर रहे हैं।
वर्षा की वजह से मैदान में पानी भर गया, इसलिए रामलीला का मंचन रामलीला मैदान के प्रांगण में स्थित मानस हॉल में किया जिसमे सभी दृश्य पूरे सौंदर्य के साथ प्रस्तुत किये गए। श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान में चल रही रामलीला के आज विजयादशमी के दिन मंदोदरी- रावण संवाद, मेघनाद वध, रावण वध के दृश्य प्रस्तुत किये गए।
संस्था के सचिव पं० आदित्य द्विवेदी ने मीडिया को यह बताया कि वर्षा के कारण रावण भीगने का भय हो गया था इसलिए इस वर्ष रावण को लैमिनेट किया जिससे दहन करने में कोई विघ्न न आये। इसी के साथ बहार led की भी व्यवस्था की गयी जिससे जिन प्रसंगों का मंचन भीतर मंच पर हो रहा है उनका रसास्वादन जनता बाहर से भी कर सके। मुख्य अतिथि के रूप में संस्था के संरक्षक एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा की उपस्थिति रही।
आज मंच का आरम्भ अभिषेक, सत्येंद्र व आयुषी पांडवी द्वारा गाये गए सुन्दर भजनो और ईश्वर की स्तुति के साथ हुआ। इसके बाद रामलीला का आरम्भ मेघनाद द्वारा निकुंबला देवी कि आराधना से आरम्भ की गयी, जिन्हे मेघनाद प्रसन्न कर दिव्य रथ प्राप्त करना चाहता था लेकिन श्री लक्ष्मण और हनुमान जी मिलकर उसके यज्ञ को भंग कर देते हैं। इस प्रसंग के उपरान्त इसके बाद मेघनाद और लक्ष्मण का युद्ध होता है जिसमे मेघनाद के सभी प्रयास विफल हो जातवे हैं और लक्ष्मण अपने घातक बाणों से मेघनाद का धड़ उसके सिर से अलग कर उसे मार गिराया।
इसके पश्चात मंदोदरी और रावण का संबवाद होता है जिसमे मंदोदरी रावण को समझने का प्रयत्न करती है कि यह कैसा मोह है, कैसा हट है। वह रावण को एक बार पुनः सीता को राम के पास भेजने के लिए कहती है। इस युद्ध में अपने भाइयों को खोने के पश्चात अपने पुत्र का भी बलिदान दे दिया रावण ने अतः सीता को उसके पति के भेजना सर्वोत्तम है और उसे भविष्य की चिंता हो जाता है। इसके बाद रावण मंदोदरी की बात नकारकर युद्धभूमि के लिए प्रस्थान कर जाता है और भीषण युद्ध की शुरुवात होती है।
एक ओर सेना जय लंकेश तो दूसरी ओर से सेना जय श्री राम का स्वर निकाल कर युद्ध करती है। इसके बाद श्री राम और रावण के बीच भीषण संग्राम होता है और रावण का वध हो जाता है। मंच पर रावण वध होने के साथ ही रावण का पुला दहन भी हो जाता है ढेर सारी आतिशबाज़ी के साथ जिसे देखने बड़ी संख्या में जनता उपस्थित रही।
रिपोर्ट-देवेंद्र मिश्रा