लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा हेतु समर्थ पोर्टल को प्रदेश में क्रियान्वित करने पर विचार मंथन हेतु दो दिवसीय कार्यशाला “समर्थ से सामर्थ्य” का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न उत्पादों के स्टॉल का निरीक्षण किया। उत्पादों में टिशू कल्चर द्वारा विकसित प्लांट, स्टेम शिक्षा, आयुर्वेदिक औषधि उत्पाद, वाणिज्यिक गौशाला आदि से संबंधित उत्पादों की प्रस्तुति की गयी। राज्यपाल की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से शिक्षा मंत्रालय की पहल पर समर्थ पोर्टल की मदद से राज्य विश्वविद्यालयों में एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग स्थापित की जानी है।
कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ सुधीर महादेव बोबडे ने समर्थ पोर्टल का आरंभ, उद्देश्य, लाभ, महत्व व पोर्टल के उत्तर प्रदेश राज्य में क्रियान्वयन में कुलाधिपति की भूमिका, समर्थ पोर्टल को लागू करने की बाध्यता, लाभ एवं महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह पोर्टल पिछले पांच वर्षों से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में संचालित हो रहा है। जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में इस पोर्टल को उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में लागू करने का यह सही समय है।
उन्होंने कहा कि सूचना संचार प्रौद्योगिकी में एक डिजिटल ढांचा बनाने से विश्वविद्यालयों के हितधारकों को एक पारदर्शी प्रणाली प्रदान की जाएगी। प्रबंधन और वितरण के स्तर पर एक सक्षम वातावरण बनाया जाएगा। डेटा के लिए विश्वविद्यालय किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे। इस पोर्टल पर उनका डेटा न सिर्फ सुरक्षित रहेगा बल्कि एक क्लिक पर कहीं से भी उपलब्ध होगा।
इस पोर्टल के माध्यम से वित्तीय समाधान और बचत भी सुलभ होगी। यह पोर्टल विश्वविद्यालयों की 14 जनहित गारंटी सेवाओं को पूरा करने में भी सहायक होगा। उन्होंने सभी विश्वविद्यालय को नये सत्र से पोर्टल को लागू करने के लिए तैयारी करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में समर्थ पोर्टल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग साबित होगा।
कार्यशाला का परिचय देते हुए विशेष कार्याधिकारी शिक्षा राज्यपाल डॉ पंकज एल जॉनी ने कहा कि परीक्षा से लेकर परिणाम तक विश्वसनीयता और पारदर्शिता लाने के लिए समर्थ पोर्टल सबसे उपयोगी है। इस पोर्टल के लागू होने के बाद विश्वविद्यालयों के कई तरह के खर्चे कम हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि यह पोर्टल न केवल विश्वविद्यालयों को डिजिटल रूप से सुचारू रूप से चलाने में सहायक है बल्कि इसके कई अन्य लाभ भी होंगे।
कार्यशाला में समर्थ पोर्टल के संयोजक दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रो संजीव सिंह ने पोर्टल का परिचय देते हुए बताया कि पूरी तरह से स्वदेशी एकीकृत समर्थ पोर्टल का अब तक पूरे देश के 3000 से अधिक संस्थाओं में क्रियान्वयन हो चुका है तथा 1.26 करोड़ बच्चे पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं तथा लगभग 04 हजार करोड़ से अधिक का डिजिटल भुगतान किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि पोर्टल के माध्यम से विश्वविद्यालय डाटा की समीक्षा करने के साथ-साथ आवश्यकतानुसार हम कई बदलाव भी ला सकते हैं। इस प्रकार यह पोर्टल विश्वविद्यालयों को एनईपी 2020 को लागू करने में मदद करेगा तथा छात्रों की समस्याओं को समझकर अल्प समय में उनका समाधान भी किया जा सकेगा। इस प्रकार समर्थ पोर्टल के माध्यम से विश्वविद्यालयों में सुशासन लाया जा सकता है।
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कार्यशाला में दिल्ली विश्वविद्यालय के समर्थ टीम के सदस्य शरद मिश्रा ने उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों में समर्थ ई- गवर्नेंस के क्रियान्वयन की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा पोर्टल के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने पोर्टल को यूजर फ्रेंडली बताते हुए कहा कि जहां छात्र एक क्लिक पर अपनी सारी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे वहीं शिक्षक अपने शोध, पेटेंट, प्रकाशन को अपडेट कर सकेंगे व कहीं से भी छुट्टी के लिए आवेदन कर सकेंगे।
कार्यशाला में समर्थ टीम के सदस्य मुकेश रावत द्वारा प्रवेश प्रक्रिया प्रबंधन विषय, प्रतीक करमाकर द्वारा एकेडमिक्स एंड स्टूडेंट लाइफ सायकल प्रबंधन एवं कौशिक बरुआ द्वारा पोर्टल से महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की सम्बद्धता के संदर्भ में प्रस्तुति दी गयी। इस अवसर पर विशेष सचिव एवं निदेशक उच्च शिक्षा विभाग सीपू गिरी द्वारा राज्य में समर्थ ई गवर्नेंस के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी दी गयी।
कार्यशाला में उपस्थित राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण व कुलसचिवगण ने विभिन्न पहलुओं पर समर्थ टीम के सदस्यों से अपनी जिज्ञासाएं साझा की। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 में एकीकृत समर्थ पोर्टल लांच किया गया था। इस पोर्टल के माध्यम से 12 वीं के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश और परीक्षा से संबंधित प्रक्रिया आसानी से पूरी की जा सकती है। डिजिटल प्रबंधन से लेकर डेटा सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। इस सिस्टम से विश्वविद्यालयों के पास छात्रों और रिजल्ट से जुड़ा डेटा मौजूद रहेगा।
इसके लिए उन्हें किसी दूसरी कंपनी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। विश्वविद्यालयों में संचालित हो रहे पाठयक्रमों की सम्पूर्ण जानकारियां एक ही पोर्टल पर मिल जायेगी। इसके साथ ही एक समान समय पर प्रवेश, एक समान समय पर परीक्षाएं तथा एक समान समय पर परीक्षा परिणाम भी प्राप्त होंगे। इस पोर्टल से छात्रों से लेकर शिक्षकों और उनके अभिभावकों तक सभी को लाभ होगा।