उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार देर रात एक वकील की सनसनीखेज हत्या का मामला सामने आने के बाद शहर में तनाव की स्थिति बन गई है. वकील की हत्या को ईट-पत्थर और पटरियों से बेरहमी से कूच कर अंजाम दिया गया.
मृतक वकील की पहचान 32 वर्षीय शिशिर त्रिपाठी के तौर पर हुई है. वकील विनायक ठाकुर, मोनू तिवारी सहित पांच लोगों पर इस वारदात को अंजाम देने का आरोप लगा है. शिशिर की हत्या के पीछे पुरानी किसी रंजिश को कारण बताया रहा है.
लखनऊ के कृष्णानगर थाना क्षेत्र के दामोदरनगर इलाके में हुई इस हत्या कांड में पुलिस ने एक आरोपी वकील विनायक ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मानू मिवारी सहित तीन अन्य आरोपी फरार चल रहे हैं. पुलिस ने शिशिर का शव अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
वकील शिशिर त्रिपाठी के पिता ने आरोप लगाया है कि क्षेत्र के गांजा तस्करों ने उनके बेटे की बेरहमी से हत्या की है. उनके मुताबिक शिशिर इलाके में हो रही गांजा तस्करी का विरोध करते थे. इस बारे में पुलिस को भी की शिकायत की गई थी, लेकिन इलाके में गांजे का धंधा बदस्तूर चल रहा था.
पिता ने बताया कि उनके बेटे शिशिर ने मोनू तिवारी और विनायक ठाकुर के खिलाफ गांजा तस्करी करने का आरोप लगाकर स्थानीय पुलिस से इसकी शिकायत की थी, फिर भी दोनों धंधा करते रहे और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.
वकील शिशिर त्रिपाठी के पिता ने पुलिस की निजी रंजिश के कारण हत्या की बात को खारिज किया है. मृतक के पिता का कहना है कि विनायक और मोनू इलाके में गांजा तस्करी के साथ ही स्टैंड वसूली भी करते थे.
इस बीच मृतक वकील शिशिर त्रिपाठी के शव को लेकर साथी अधिवक्ता कोर्ट परिसर पहुंचे और लखनऊ की लचर कानून व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन किया.
अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में शिशिर त्रिपाठी अमर रहे, पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए. लखनऊ के स्वास्थ्य भवन से लेकर परिवर्तन चौक तक अधिवक्ताओ ने रास्ता ब्लॉक कर दिया. मौके पर आरएएफ और पीएसी के साथ भारी पुलिस बल तैनात रहा.