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LU में वेद वेदाङ्गम : उद्योग और कौशल विकास-विषयक व्याख्यान, नेट-जे.आर.एफ. में चयनित विद्यार्थियों का सम्मान

व्याख्यानमाला में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर झा जी नें अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कौशल विकास के पारिभाषिक अर्थ की विशद व्याख्या करके कर्म के माध्यम से अपनी गुणवत्ता का विकास माध्यम से किसी भी क्षेत्र में सफलता के रहस्य का प्रतिपादन किया।

लखनऊ। संस्कृत और प्राकृत भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय मे उप्र सरकार के सहयोग से संचालित सेंटर आफ एक्सीलेंस परियोजना के अन्तर्गत आज दिनांक 12 मार्च 2022 को दो दिवसीय व्याख्यानमाला का द्वितीय दिवस संपन्न हुआ। वैदिक तथा लौकिक मन्त्रो के साथ सरस्वती देवी को माल्यार्पण समर्पित करके प्रारम्भ हुए इस व्याख्यान माला के द्वितीय दिवस पर आज वैदिक वाङ्मय में उद्योग तथा कौशल विकास विषय के अंतर्गत वेदांग साहित्य पर आधारित तीन व्याख्यान प्रस्तुत किए गए।

LU में वेद वेदाङ्गम में व्याख्यान माला

लखनऊ विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय के संरक्षण तथा कला संकायाध्यक्षा प्रोफेसर प्रेम सुमन शर्मा के निर्देशन में संपन्न इस व्याख्यानमाला में कामेश्वर नाथ दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रोफेसर सर्वनारायण झा और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मदन मोहन पाठक का विशिष्ट व्याख्यान रहा। महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखनऊ की संस्कृत विभागाध्यक्षा डा.ऋतु सिंह ने भी वैदिक वाङ्ममय में उद्योग एवं कौशलविकास की सम्भावनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

व्याख्यानमाला में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर झा जी नें अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कौशल विकास के पारिभाषिक अर्थ की विशद व्याख्या करके कर्म के माध्यम से अपनी गुणवत्ता का विकास माध्यम से किसी भी क्षेत्र में सफलता के रहस्य का प्रतिपादन किया। इनके अनुसार ज्योतिष के साथ-साथ कल्प, वेदांग में निरूपित कर्मकांड के विविध सिद्धांतों में समाज की जीविका के उपाय के रूप में बहुत से क्रियाकलाप वर्णित हैं, इनका प्रयोग करके आज भी समाज में अनेक वर्गों के व्यक्तियों द्वारा अपनी जीविका का उपार्जन किया जाता है।

University of Lucknow

कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि के रुप में उपस्थित प्रोफेसर मदन मोहन पाठक जी नें संस्कारों की पृष्ठभूमि में निहित नामकरण संस्कार के अंतर्गत व्यक्ति के जीविका तथा वृत्ति के विचार की शास्त्रीय परंपरा को आज के समय में प्रासंगिक सिद्ध करते हुए समस्त संस्कारों के मूल में निहित कर्म के सिद्धांत पर आश्रित उद्योग तथा कौशल विकास के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। डॉ ऋतु सिंह जी नें भारतीय कला कौशल पर आधारित विभिन्न कलाओं के माध्यम से कौशल विकास के पक्ष को सुदृढ़ करके उद्योग की संभावनाओं पर विचार किया। कार्यक्रम में भाग्य और कर्म की वैज्ञानिक मीमांसा करते हुए कर्म के पक्ष को प्रबल स्वीकार किया गया।

आज के इस सारस्वतव्याख्यानसत्र मे संस्कृत मे नेट तथा जे.आर.एफ की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले पूजा यादव,चनदन,मांडवी,गजाला,श्रुति,मुनीष आदि आठ विद्यार्थियों को माननीय अतिथियों के द्वारा सम्मानित किया गया जिससे विभाग के अन्य विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहन तथा प्रेरणा प्राप्त हो सके। संस्कृत तथा ज्योतिर्विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डा.सत्यकेतु,डा.भुवनेश्वरी भारद्वाज, डा.गौरवसिंह,डा.बृजेशसोनकर ,डा,पत्रिका जैन, डा.अनिल पोरवाल, नम्रता सिंह डा,शुचि सहित शोध छात्र छात्राएं और एम ए. के विद्यार्थी मिलाकर लगभग 75 श्रोता इस मे उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन सेंटर आफ एक्सीलेंस योजना के प्रधान अन्वेषक तथा संस्कृत विभाग के समन्वयक डॉ प्रयाग नारायण मिश्र ने किया। कार्यक्रम में अभ्यागत अतिथियों का स्वागत डॉ. भुवनेश्वरी भारद्वाज जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सत्यकेतु जी ने करके व्याख्यानमाला के आज के कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान की।
आज के इस कार्यक्रम मे अभ्यागत अतिथियों का अंगवस्त्रादि से सम्मान करके कार्यक्रम मे वर्तमान समय में वेदांगों में निहित उद्योग तथा कौशल विकास की संभावनाओं पर विस्तृतविवेचना हुई।अन्त मे वैदिकशान्तिपाठपूर्वक मंगलाशंसन से कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान की गयी।

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