देश के अग्रणी साहित्यकार और भाषाविद प्रो. गोपी चंद नारंग का अमेरिका में निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। उन्हें पद्मभूषण समेत कई सम्मानों से नवाजा गया था। नारंग का जन्म 1931 में बलूचिस्तान में हुआ था. 57 किताबों के रचयिता गोपी चंद नारंग को पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी अलंकृत किया गया था.
उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं में उर्दू अफसाना रवायात और मसायल, इकबाल का फन,अमीर खुसरो का हिंदवी कलाम, जदीदियत के बाद शामिल हैं.इसके बाद 1986 में दोबारा दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाना शुरू किया.
नारंग का हिंदी, उर्दू, बलोची पश्तो सहित भारतीय उपमहाद्वीप की छह भाषाओं पर कमांड था. गोपीचंद नारंग ने उर्दू के आलावा हिंदी और अंग्रेजी में भी किताबें लिखी हैं.1963 में इन्होंने विजिटिंग प्रोफेसर के तौर विस्कॉनसिन यूनिवर्सिटी में अपना योगदान दिया.
1968 में फिर इसी यूनिवर्सिटी ने इन्हें पढ़ाने के लिए बुलाया. इसके अलावा इन्होंने मिनिएपोलिस की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी और नॉर्वे की ओस्लो यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया है.प्रो. नारंग हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और पश्तो सहित छह भाषाओं के महारथी थे।