राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मसूद अहमद ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व विधानसभा के आम चुनाव में प्रदेश के किसानों, मजदूरों तथा नवयुवकों ने भारी बहुमत देेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनवायी थी। आम चुनाव में भारी बहुमत पाना इस बात का प्रतीक है कि प्रदेश की जनता ने इस सरकार से काफी आशा की थी परन्तु अब तक प्रदेश का किसानों, मजदूरों, नवयुवकों तथा प्रदेश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले महिला वर्ग में निराशा ही हाथ लगी है। फसल की लागत की दुगुनी आय का शिगूफा सुनते सुनते किसान लगातार लुटता चला गया और 10 रूपये/किलों में प्याज बेचने के पष्चात किसान को खाने के लिए 200 रूपये प्रति किलों खरीदने को मजबूर होना पड़ा।
डाॅ अहमद ने कहा कि हजारों करोड रूपया इन्वेस्टर्स समिटि के नाम पर प्रदेश सरकार द्वारा खर्च किया गया परन्तु धरातल पर न ही कोई निवेश नजर आ रहा है और न ही बेरोजगारों को दूर दूर रोजगार की रोशनी दिखाई पड रही है। अनेको भर्ती परीक्षाओं का या तो पेपर लीक हो गया अथवा उसका परिणाम घोषित नहीं किया गया। इस प्रकार की घटनाओं को देखते हुये यही कहा जा सकता है कि बेरोजगारों के हजारों करोड रूपया बर्बाद कराकर प्रदेश सरकार शिक्षित बेरोजगारों का मजाक उड़ा रही है। रियल स्टेट और आटोमोबाइल सेक्टर के मजदूर भुखमरी झेल रहे हैं परन्तु प्रदेश सरकार उनकी कोई भी सुध लेने की आवश्यकता नहीं समझती।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि महिला सुरक्षा के लिए प्रदेश के आठ बडे शहरों में महिला सुरक्षा योजना की घोषणा की गयी थी जिसमें प्रदेश की राजधानी लखनऊ का भी नाम था। घोषणा के अनुसार राजधानी में डेढ हजार सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने थे और गुलाबी बाइक से महिला पुलिस कर्मियों को गस्त करना था साथ ही साथ 100 पुलिस चैकियां गुलाबी रंग की बननी थी जहां पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती होनी थी। बसों इत्यादि में भी महिला सुरक्षा की दृष्टि से कैमरे लगने थे परन्तु धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है।
प्रदेश में महिलाओं और बेटियों की स्थिति दिन प्रतिदिन असुरक्षा की भावना से ग्रस्त होती जा रही है। प्रदेश में नौनिहालों की शिक्षा व्यवस्था में प्रदेश सरकार अक्षम साबित हुयी है क्योंकि तीन सत्र तक लगातार समय से न ही पुस्तके उपलब्ध करायी गयी और न ही बच्चों को जूते मोजे ड्रेस इत्यादि समयानुसार उपलब्ध हो सकें। संक्षेप में कहा जा सकता है कि प्रदेश सरकार केवल झूठे आकड़ों और अर्नगल बयानबाजी पर चल रही है आम जनता की सुविधाओं के साथ साथ मंहगाई, कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सम्बन्धी सुधारों से इसका कोई लेना देना नही हैं।