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लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने बने 28वें सेनाध्यक्ष, जानें इनसे जुड़ी खास बातें

आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत का कार्यकाल 31 दिसंबर यानि आज समाप्त हो गया है। उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने नें ले ली है। अब नरावने अगले सेनाध्यक्ष बन गए हैं। नरावने का सेना प्रमुख के पद पर कार्यकाल दो साल चार महीने का होगा। उन्होंने मौजूदा वर्ष में ही लेफ्टिनेंट जनरल का पदभार संभाला था।

नरावने अब तक अपने जीवन के 37 वर्ष भारतीय सेना की सेवा में गुजार चुके हैं। उन्हें आतंकवाद रोधी इलाकों में काम करने का खास अनुभव है। उन्होंने इस दौरान अपनी जिम्मेदारी पूरे अनुशासित तरीके से संभाली। वे जम्मू- कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के अतिरिक्त पूर्वी मोर्चे पर सेना ब्रिगेड का पदभार संभाल चुके हैं। इसके अलावा वे श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा सेना का हिस्सा भी रह चुके हैं।

उन्हें जम्मू कश्मीर में अपनी बटालियन की कमान प्रभावी तरीके से संभालने को लेकर सेना पदक मिल चुका है। उन्हें नगालैंड में असम राइफल्स (उत्तरी) के महानिरीक्षक के तौर पर उल्लेखनीय सेवा को लेकर ‘विशिष्ट सेवा पदक’ तथा प्रतिष्ठित स्ट्राइक कोर की कमान संभालने को लेकर ‘अतिविशिष्ट सेवा पदक’ से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें ‘परम विशिष्ट सेवा पदक’ से भी सम्मानित किया गया है।

नरवाने लेफ्टिनेंट जनरल का पदभार संभालने से पहले सेना की पूर्वी कमान का पदभार पर संभाल चुके हैं, जो चीन से सटी भारत की लगभग चार हजार किमी लंबी सीमा की रखवाली करती है। उन्हें जून 1980 में सातवीं बटालियन, सिख लाइट इन्फैंट्री रेजीमेंट में कमीशन न्यूक्त किया गया था।

मनोज मुकुंद नरवाने को चीनी मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। उनको भारत के नॉर्थ-ईस्ट और जम्मू-कश्मीर में किए गए काउंटर इनसर्जेंसी अभियानों का एक लंबा अनुभव रहा है। मुकुंद नरावने के व्यक्तिगत जीवन की बात की जाए तो उनका विवाह वीणा नरवाने से हुआ। उनकी दो बेटियां भी हैं।

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