लखनऊ। विश्व हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रकोष्ठ लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) द्वारा “विश्व भाषा के रूप में हिंदी” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
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इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित करना है। इस संगोष्ठी के लिए दिए गए अपने संदेश में कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने कहा, कोई भी भाषा अपने उद्भव एवं विकास के साथ साथ एक संस्कृति को पुष्पित, पल्लवित करती है।
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संस्कृत से उद्भूत हिंदी मानवता के उदात्त गुणों को आत्मसात करते हुए वसुधैव कुटुंबकम के लक्ष्यों को प्रसारित प्रचारित कर रही है। वर्तमान भू राजनैतिक परिवेश में हिंदी विश्व भाषा बनने में सर्वदा सक्षम है । हिंदी भाषा हमारी संस्कृति और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमें इसे वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
इस कार्यशाला में श्रीलंका, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, थाईलैंड, आदि देशों के छात्रों ने प्रतिभाग किया और हिंदी के प्रचार प्रसार जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की। विशेष रूप से हिंदी भाषा का महत्व, इसके वैश्विक प्रसार के लिए चुनौतियाँ और अवसर, और हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्यक्रमों पर चर्चा परिचर्चा की गई।
कार्यक्रम का संयोजन अंतर्राष्ट्रीय प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह ने किया और बीज वक्तव दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में इसके राजभाषा प्रारूप एवं इसके भाषाई स्वरूपों में सरलीकरण पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
आनंद अबेसुन्दरा, अक्षय भारद्वाज, नीतीश कुमार सिंह, धर्मेंद्र भारद्वाज, रोहित यादव, अदिति कुमार, पूर्णिमा पुष्पा, सहारमल सहार, शेकिब लोदिन, अभिषेक कुमार गुप्ता, सिबोसिसो, मरवान अलकोज़ई, एहसान उल्लाह हिम्मत, मल्लिका शुक्ला सहित अन्य भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय छात्र एवं रिसर्च स्कॉलर कार्यशाला में प्रतिभागी रहे।