लखनऊ। व्यावहारिक अर्थशास्त्र विभाग ने पांच दिवसीय पूर्व-दीक्षांत समारोह ‘उद्भव’ के अन्तर्गत “क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानवता के लिए खतरा है?” शीर्षक पर एक विचारोत्तेजक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया।
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प्रतियोगिता में दस छात्रो ने भाग लिया, जिन्होंने मानव जीवन पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव पर विविध दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए विचारों आदान-प्रदान किया।
विभाग के सम्मानित शिक्षकों ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिनमें प्रोफेसर रचना मुजू (डीन, वाणिज्य संकाय), प्रोफेसर अर्चना सिंह (प्रमुख, एप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग), प्रोफेसर बिमल जयसवाल, प्रोफेसर अनूप कुमार सिंह, डॉ रंजीत सिंह, डॉ जय लक्ष्मी शर्मा, डॉ नागेंद्र मौर्य, डॉ करुणा शंकर, डॉ दीपक वर्मा उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानव अस्तित्व के बीच की जटिलताओं पर चर्चा करते हुए अपने विश्लेषणात्मक और संचार कौशल का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
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प्रतिभागियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, सामाजिक और तकनीकी पहलुओं को संबोधित करते हुए अच्छी तरह से शोध किए गए तर्क प्रस्तुत किए। वाद विवाद प्रतियोगिता का निष्कर्ष यह निकला कि, मानवता पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे विकसित, नियोजित और विनियमित किया जाता है।