महाराष्ट्र में बीते शनिवार सुबह एनसीपी नेता अजित पवार ने बीजेपी से गठबंधन कर वे खुद उप मुख्यमंत्री बन गए थे और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन ये जोड़ी ज्यादा समय तक एक दूसरे का साथ नहीं निभा पाई और दोनों नेताओं को अपने पद से इस्तिफा देना पड़ा।
वहीं माना जा रहा था कि इस गठबंधन में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपने भतीजे अजित के साथ कांग्रेस शिवसेना को दुविधा में डाले रखा।
ऐसे हालात में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने बहुत धैर्य से काम लिया और लग रहा था कि वे दोनो तरफ से मोहरें चलते रहे। जिससे वे दोनो ओर से विश्वास पाने में सफल रहे। पवार ने अपना रास्ता साफ करते हुए बीजेपी को दरकिनार कर दिया। महाराष्ट्र में शीवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार बनाने की राह के सारे कांटे दूर हटा दिए। अब इन तीनों पार्टियों का झंडा महाराष्ट्र में लहरायेगा। 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की सपथ लेंगे।
महाराष्ट्र में इन सभी राजनिति पेंच में एनसीपी के नेता अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार ने कांग्रेस को विश्वास दिलाया कि बीजेपी से गठबंधन का फैसला अजित का है। ये फैसला उनका या उनकी पार्टी एनसीपी का नहीं। वहीं एनसीपी के सभी नेता दुविधा में थे कि वे अजित पवार के साथ जाएं या शरद पवार के साथ रहें।
अपनी पार्टी की अलझन और स्थिति को देखते हुए शरद पावर ने प्रेस कॉफ्रेंस करके इसपर स्थिति साफ की। इस दौरान शरद पबार ने उद्धव ठाकरे को हमेशा साथ रखा ताकि इनके गठबंधन की बीत साफ रहे। मीडिया के सामने शरद पवार ने अपने विधायकों को आगे रखा और मीडिया के माध्यम से ये संदेस दिया कि बीजेपी ने भी अनसीपी नेताओं को उलझाने में सक्रिय भूमिका निभाई।
शरद पवार ने अपने उन नेताओं को मनाया जो अजित पवार के साथ मिलकर बीजेपी के साथ जाने के लिए मान गए थे। उन्होंने अपने विधायको मिडिया में शामिल करके ये बयान दिलवाया की उनके साथ क्या हुआ। इससे अजित पवार को यकिन दिलाया कि वे अकेले पड़ रहे हैं। वहीं उन्होंने लापता विधायको को परिवारों को लेकर अपनी चिंता दिखाई और पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई।
पवार ने अपनी मजबूती बनाने के लिए अजित के करीबी धनंजय मुंडे-माणिकारव कोकाटे को पवार ने विश्वास में लिया, जिससे बीजेपी का आत्मविश्वास कमजोर पड़ गया। इसके साथ ही ही उन्होंने भतीते अजीत को भी एनसीपी से दूर न जाए इसलिए परिवार व परिजनों को अजित के संपर्क में रखा और वापस पार्टी में आने के लिए दबाव बनाया।
शरद पवार ने अपनी मजबूती बढ़ाने के लिए कांग्रेस और शिवसेना के नेताओं से मुलाकात कर एक सूत्र में बांधे रखा। वहीं होटल हयात में वी आर 162 आयोजित करके मीडिया के माध्यम से सबको बताया की बीजेपी ने बहुमत न होने के बाबजूद सरकार बनाई है। बाद में अजित पवार का इस्तिफा करवा के शरद पवार ने महाराष्ट्र से बीजेपी की सरकार को मात्र 78 घंटों में हटने पर मजबूर किया।