◆◆ मैं शहर हूं ◆◆
हाँ, मैं शहर हूँ जागा हुआ रहता
रात भर हूं चैन की नींदें कहां भाग्य मेरेव्यस्तता ही रहती हमेशा साथ मेरे
चाहता हूं मैं भी कभी हो सवेरा ऐसाजब ना कोई बेसबर हो
शांति भरी हो रातें और सुनहरी सी सहर होसड़कों पर ना हो ये भागती गाड़ियां
अखबारों में भी अमन की खबर होगांवों की वो सरलता कहां से मैं लाऊं
वह मोहक हरियाली खुद में कैसे सजाऊंयहां तो समय की रहती आपाधापी
सबको कहीं पहुंचने की होती जल्दीखेतों की हरीतिमा नदियों की कल-कल
कहीं पीछे अपने मैं छोड़ आया अपनों का नेहसजीले चौखटों से कब का हूँ
मैं मुंह मोड़ आया
अलका ‘सोनी’
Tags I am the city main shahar hoon अलका 'सोनी' मैं शहर हूं