लखनऊ, 01 सितम्बर। राष्ट्रीय लोकदल श्रम प्रकोष्ठ के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद पटेल ने दिहाड़ी मजदूरों का दर्द बयां करते हुये कहा कि आधुनिक भारत श्रम एवं कृषि प्रधान देश है। इस देश में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का कुल श्रम बल 60 करोड़ है। उत्तर प्रदेश में कुल श्रम बल लगभग 12 करोड है। असंगठित दिहाड़ी श्रमिकों का घरेलू सकल उत्पाद (जीडीपी) में 70 प्रतिशत योगदान है फिर भी एक सरकारी आकडे राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो में आत्महत्या करने वाला चौथा व्यक्ति दिहाड़ी श्रमिक है।
श्री पटेल ने मजदूरों की आत्महत्या का प्रमुख कारण न्यूनतम मजदूरी, बेरोजगारी, बकाया वेतन, मंहगाई बताते हुये कहा कि श्रम कानूनों का पालन न होने के कारण जैसे असंगठित क्षेत्र के बने श्रम कानून सामाजिक सुरक्षा बोर्ड में बजट के अभाव के कारण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का संचालन नहीं हो रहा है तथा बीओसीडब्ल्यू की कल्याणकारी योजनाओं की जटिलता के कारण निर्माण श्रमिकों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कार्यवाहक प्रदेश महासचिव महेश पाल धनगर ने कहा कि यह मजदूर गृह आधारित, स्वनियोजित, प्रवासी दिहाड़ी शहरी प्रकृति के श्रमिक होते हैं यह मुख्यता निर्माण, घरेलू, खेतिहर मजदूर, ईट भटठा, संविदा इत्यादि कार्यो में संलग्न रहते हैं। नवउदारवादी, पूंजीवादी, मशीनीकरण, ठेकेदारी, निजीकरण, निगमीकरण की नीतियों के दुष्प्रभाव के कारण समाज में बेरोजगारी मंहगाई भ्रष्टाचार आत्महत्या जैसे अन्य कार्यो में बढोत्तरी हुयी। सीमान्त किसान-सीमान्त किसान खाद बिजली पानी की सुविधा न मिलना तथा प्राकृतिक आपदा एवं एमएसपी का लाभ न मिलने से सीमान्त किसान पीडित रहता है।
कार्यवाहक प्रदेश महासचिव रमेश कश्यप ने कहा कि श्रमिकों का बकाया वेतन की काफी शिकायत श्रम विभाग को मिलती हैं परन्तु उनका निस्तारण समय से न होने एवं निस्तारण की प्रक्रिया जटिल होने के कारण श्रमिको को बकाया का भुगतान नहीं हो पाता है। जीएस0टी0 की दरें खादय पदार्थो षिक्षा, चिकित्सा पर होने के कारण मंहगाई में काफी वृद्धि हुयी है। सरकारी एवं कारपोरेट घोटालों के कारण श्रमिक पीडि़त होता है।