नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालन ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चाहे कोई भी इसे अनुचित करार दे लेकिन, एमसीडी को राष्ट्रीय राजधानी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के नियमों को लागू करना होगा। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने कहा कि वे बीते 21 वर्षों से लगातार इस मामले में अनुचित होने के आरोपों के आदी हो चुके हैं।
‘हम ऐसे आरोपों से प्रभावित नहीं होते’
न्यायमूर्ति अभय एस का ने कहा, ‘हम ऐसे आरोपों से प्रभावित नहीं होते हैं।’ न्यायमूर्ति ओका ने एमसीडी की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील से कहा, ‘हम आपसे स्पष्ट तौर पर यह बात कह रहे हैं। अगर कोई कहना चाहता है कि हम इस मामले में अनुचित बात कर रहे हैं, तो हम खुशी-खुशी ऐसे आरोपों को स्वीकर करते हैं क्योंकि, मैं बीते 21 वर्ष से ऐसे आरोपों को सुनने का आदी हो चुका हूं। इन आरोपों के बाद भी मैं सुनिश्चित करता हूं कि इन कानूनों को लागू किया जाएगा।’
‘पहले न्यायाधीश के बारे में जानकारी ले लें’
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि ‘अनुचित होने’ जैसा कोई भी आरोप लगाने से पहले आपको न्यायाधीश के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इससे पहले एमसीडी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि इस मामले में वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने एमसीडी के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए। आपको बता दें कि अपराजिता सिंह इस मामले में न्याय मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहीं हैं। इसके जवाब में न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि वे ऐसे आरोपों को सुनने के आदी हो चुके हैं।
न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने अदालत को क्या बताया था?
न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया था कि असंसाधित ठोस अपशिष्ट की वजह से दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि यह आपातकाल की स्थिति हो सकती है और राज्य सरकार के पास इस स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन शक्तियां हैं। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि रोजाना तीन हजार टन असंसाधित ठोस कचरे की वजह से दिल्ली के लोगों पर गहरा असर पड़ सकता है। अदालत ने कहा कि इस मामले पर अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी।