आनन्दी बेन पटेल ने कहा भविष्य में जीवन की सफलता ज्ञान और जीवन लक्ष्यों को लगन के साथ पूरा करने से प्राप्त होगी।- आनंदी बेन पटेल, राज्यपाल, उत्तर प्रदेश
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Tuesday, March 22, 2022
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राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों को नया आयाम दिया है। प्रायः इसका सीधा संबन्ध शिक्षा से माना जाता है। उपाधियों का वितरण होता है। बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को मेडल से नवाजा जाता है। दीक्षांत समारोहों में इस परम्परा का निर्वाह होता है। आनन्दी बेन स्वयं शिक्षिका रही है। वह मानती है कि समाज के प्रति दायित्व बोध के बिना शिक्षा अधूरी है।
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इसलिए विश्वविद्यालयों को भी समाज के व्यापक हित में कार्य करने चाहिए। जिससे विद्यार्थियों में समाज सेवा का भाव जागृत हो। इसके साथ ही विद्यार्थियों को भी शिक्षा के साथ राष्ट्र व समाज के हित में सदैव सजग रहने का संकल्प लेना चाहिए। आनन्दी बेन पटेल छोटे क्लास के बच्चों को भी दीक्षांत समारोहों में आमंत्रित करने को महत्व देती है। इससे बच्चों में भी उच्च शिक्षा के प्रति आकर्षण जागृत होता है। दीक्षांत समारोहों से उन्हें प्रेरणा मिलती है। इसके अलावा वह स्वास्थ्य के प्रति भी विद्यार्थियों को जागरूक रहने की प्रेरणा देती है। फिट इंडिया व सुपोषण अभियान आदि से संबंधित कार्यक्रमों में वह सहभागी होती है।
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ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ दीक्षान्त समारोह में उन्होंने
जल व ऊर्जा संरक्षण, रक्तदान व प्लेटलेट दान, बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवाने का सन्देश दिया। पढ़ाई के साथ साथ इन सबका भी महत्व होता है। शैक्षणिक संस्थानों को इस दिशा में भी प्रयास करना चाहिए। गर्मी की शुरुआत हो रही है। इसमें जल का महत्व समझ में आता है। इसके संरक्षण की अनेक प्रकार की तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। विश्वविद्यालयों को इसमें सहभागी होना चाहिए। इसी प्रकार शैक्षणिक संस्थानों को रक्तदान प्लेटलेट दान जैसे मानव जीवन उपयोगी मुहिम से जुड़ना चाहिए। इसके द्वारा पीड़ित व्यक्ति का जीवन बचाया जा सकता है। इसके दान से कोई शारीरिक क्षति भी नही होती हैं। यह स्वतः शरीर में फिर बन जाता है।
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राज्यपाल ने बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर रोधी टीका लगवाने की दिशा में शैक्षणिक संस्थानों द्वारा परिवारों तक जागरूकता का प्रसार करने पर भी जोर दिया। आनन्दी बेन पटेल ने कहा भविष्य में जीवन की सफलता ज्ञान और जीवन लक्ष्यों को लगन के साथ पूरा करने से प्राप्त होगी। जो विद्यार्थी पदक प्राप्त करने से रह गए हैं वे अपनी क्षमताओं को कम न आंके क्योंकि कुछ नंबरों से आगे पीछे हो जाना आपके आगामी जीवन में प्रभावी नहीं होगा।
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उन्होंने भाषा विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी,फारसी,संस्कृत, अंग्रेजी,हिन्दी एवं फ्रेन्च भाषाओं को एलिमेन्ट्री विषय के रूप में पढ़ाये जाने कि पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न प्रकोष्ठों के गठन को सराहनीय बताया।कहा कि भाषायी ज्ञान को रोजगार से जोड़ना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के साथ साथ भारतीय भाषाओं विशेषकर क्षेत्रीय बोलियों एवं भाषाओं पर आधारित अधिक से अधिक पाठ्यक्रम चलाने चाहिए। इन पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने की दिशा में भी विश्वविद्यालय को सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है।