तमिल सिनेमा के जाने माने एक्टर MGR की आज 106वीं बर्थ एनिवर्सरी है. ये थे तो एक एक्टर और राजनेता, लेकिन चाहने वाले इन्हें भगवान मानते थे. चाहनेवालों की दीवानगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब-जब ये बीमार पड़ते तो कई लोगों आत्महत्या कर लेते तो वहीं अस्पताल के बाहर जनसैलाब आता था. बचपन संघर्षों और गरीबी में बीता, लेकिन जब हीरो बने तो भीड़ इन्हें मसीहा मानने लगी. ना फिल्मों में कभी सिगरेट पी ना शराब, भले ही कितने पैसे मिलते. इनकी छवि इतनी दमदार और गरिमामयी थी कि डायरेक्टर इनके हिसाब से फिल्मों की स्क्रिप्ट, डायलॉग और गाने लिखते. इनकी पर्सनैलिटी ऐसी थी कि ये लड़कियां इन पर जान छिड़कती थीं. यही कारण था कि इनसे 31 साल छोटी जे.जयललिता भी इनकी दीवानी हो गईं, जबकि ये पहले ही तीन शादियां कर चुके थे.
तमिल सिनेमा में अभिनय का जादू चलाने के बाद ये 1953 में राजनीति से जुड़े. अस्पताल में भर्ती रहकर इन्होंने इलेक्शन फॉर्म भरा और विधायक बने. इन्होंने अपनी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्रा कड़गम पार्टी बनाई और तमिलनाडु के सीएम बने. 1984 में जब एमजीआर की किडनी फेल हुई और उन्हें इलाज के लिए न्यूयॉर्क भेजा गया तो करीब 13 लोगों ने आत्महत्या कर ली. और अपनी किडनी देने के लिए सैकड़ों फैंस ने टेलीग्राम लिखा. इलाज के बाद वापस आकर एमजीआर ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली. 24 दिसंबर 1987. रात साढ़े 3 बजे एमजीआर का निधन हो गए. खबर सुनने वाले 30 फैंस ने मौत को गले लगा लिया. पूरे तमिलनाडु में मातम का माहौल था.
इनके अंतिम संस्कार में 12 लाख लोगों की भीड़ 10 किलोमीटर तक लंबी कतार में थी. भीड़ इतनी की एक्स्ट्रा पुलिस फोर्स भी इसे काबू नहीं कर सकी और दंगे शुरू हो गए. दंगों में 29 लोग मरे और 49 पुलिसवाले बुरी तरह घायल हुए. स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए और पूरे शहर को बंद करवा दिया गया. दंगे इतने बढ़ गए कि पुलिस प्रशासन ने दंगा करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए.